झाबुआ उपचुनाव: राजनीतिक सरगर्मियां तेज, दावेदारों में हलचल
भोपाल
मध्य प्रदेश में एक बार फिर चुनावी बिगुल बज गया है| विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अब झाबुआ उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां बढ़ गई हैं| भारत निर्वाचन आयोग ने मप्र की झाबुआ विधानसभा उप चुनाव की तारीख का एलान भी कर दिया है। उपचुनाव के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को मतगणना संपन्न होगी। इसी दिन तय हो जाएगा कि झाबुआ का विधायक कौन होगा|
उपचुनाव की घोषणा के साथ ही क्षेत्र में आचार संहिता लागू हो गई है| यह चुनाव आचार संहिता संपूर्ण झाबुआ व अलीराजपुर जिले में लागू रहेगी। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार 23 सितंबर से झाबुआ विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन भरने का कार्य शुरू हो जाएगा और 30 सितंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे।
गौरतलब है कि भाजपा विधायक रहे गुमानसिंह डामोर द्वारा लोकसभा चुनाव में जीतकर सांसद बनने के बाद इस्तीफा देने के चलते यह उपचुनाव हो रहा है। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई है| भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव बेहद ख़ास होगा| दोनों दल किसे अपना उम्मीदवार बनाएगी इसको लेकर स्तिथि साफ़ नहीं है| लेकिन कांग्रेस के अंदरखाने टिकट को लेकर दावेदारों में जोरआजमाइश चल रही है| इसमें गुटबाजी भी देखने को मिल रही है| विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा जिसे बीजेपी दोहराना चाहती है तो वहीं कांग्रेस वापसी की उम्मीद में है और इस सीट पर जीत के साथ ही विधानसभा में बहुमत पर विचार कर रही है| दोनों ही दलों में टिकट को लेकर भी खींचतान शुरू हो गई है| खासकर कांग्रेस में दावेदारों के बीच रस्साकसी शुरू हो गई है|
कांग्रेस में पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा और कांतिलाल भूरिया जोर लगा रहे हैं| दोनों ही नेता सीएम तक अपनी बात पहुंचाए चुके हैं| विधानसभा चुनाव में मेड़ा के निर्दलीय उतरने के कारण कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था| पार्टी के पास किसी एक को टिकट देने का विकल्प है। भूरिया चाहते हैं कि उन्हें या उनके बेटे को व्रिकांत भूरिया को टिकट मिले। हालाँकि दोनों ही हाल ही में हार का स्वाद चख चुके हैं| वहीं, जेवियर मेड़ा इसका विरोध कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अगर कांग्रेस मेड़ा को टिकट देती है तो कांतिलाल भूरिया को संतुष्ट करने के लिए राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया जा सकता है| स्थानीय नेताओं का मानना है कि गुटबाजी और आपसी कलह से पार्टी अगर पार पाती है तो झाबुआ सीट पर कब्जा हो सकता है| वहीं झाबुआ में भाजपा को बड़ी सफलता दिलाने वाले जीएस डामोर की टिकट वितरण में अहम् भूमिका होगी| उन्होंने पहले विक्रांत भूरिया को विधानसभा चुनाव में हराया फिर उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांतिलाल भूरिया को चुनाव हराया। बताया जा रहा है कि डामोर के पसंद के नेता को ही उतारा जाएगा| डामोर अपने बेटे या पत्नी को टिकट दिलाने की कोशिश में हैं। वहीं, भाजपा से पूर्व विधायक शांतिलाल बिलवाल भी दावेदारी कर रहे हैं