जेएनयू स्टूडेंट्स को नहीं भाया अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

 
नई दिल्ली

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के एक धड़े को शनिवार को अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पसंद नहीं आया। देश की सर्वोच्च अदालत में 9 नवंबर (शनिवार) की सुबह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजो की बेंच ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान राम के लिए एक भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हुए, सर्वसम्मति से अपना फैसला दिया। इस फैसले के बाद जेएनयू विश्वविद्यालय के छात्रों ने अदालत के इस निर्णय पर यूनिवर्सिटी परिसर में विरोध प्रदर्शन किया है।

हालांकि छात्रों के इस धड़े के विरोध प्रदर्शन से पहले यहां एबीवीपी के स्टूडेंट्स पहुंचे और उन्होंने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए यूनिवर्सिटी परिसर में दीप जलाए। साथ ही, 'मंदिर वहीं बनाएंगे' के नारे लगाए। अब तक यूनिवर्सिटी में किसी तरतह के कोई हंगामे की खबर नहीं है।
 
यूनिवर्सिटी में बने साबरमती ढाबा के पास इन छात्रों ने यह विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों का कहना था कि हमारे पास सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय की कॉपी है। हमने अदालत के इस निर्णय को पढ़ा है और इसके कुछ गंभीर पहलुओं पर भी आपस में चर्चा की है। छात्रों ने कहा कि जजमेंट को पढ़ने के बाद हम हैरान हैं कि न्यायपालिका ने हमें कई पहलुओं पर गलत साबित किया है। फैसले का विरोध कर रहे स्टूडेंट्स ने यहां एक सभा की, जिसमें उन्होंने कहा कि वे अयोध्या मामले के फैसले को वो सही नहीं मानते।

यूनिवर्सिटी कैंपस में स्थित साबरमती ढाबे के पास हुए इस विरोध प्रदर्शन को जेएनयू के छात्र शरजील इमाम ने लीड किया। इस मौके पर शरजील ने कहा, 'हमने इस जजमेंट पर चर्चा के लिए एक मीटिंग आयोजित की है।'
 
इस छात्र ने कहा, 'हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय कैसे हम रिसर्च करने वाले छात्रों को उलझन में डाल रहा है और अब इस फैसले के बाद उन्हें (छात्रों को) संविधान की पढ़ाई किस ढंग से करनी चाहिए।'

इस विरोध प्रदर्शन से जुड़े एक और छात्र ने बताया कि कैसे आरएसएस और हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने यहां 'जय श्री राम, जय श्री राम' के नारे लगाकर हमें उकसाने की कोशिश की। लेकिन हमने यहां किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
 

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