जम्मू-कश्मीर में इस साल ढेर हुए 311 आतंकी, पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा

नई दिल्ली 
जम्मू और कश्मीर में इस साल यानी 2018 में सुरक्षा बलों ने 311 आतंकियों को ढेर किया। सेना की 15 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने सुरक्षा बलों के बीच शानदार तालमेल और ऑपरेशन की आजादी को इसका श्रेय दिया। बता दें कि यह करीब पिछले एक दशक में सूबे में मारे जाने वाले आतंकियों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले 2010 में 232 आतंकी मारे गए थे।  

गृह मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक, सूबे में इस साल आतंकी गतिविधियों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां आतंक से संबंधित 342 घटनाएं हुईं, वहीं इस साल दिसंबर के पहले हफ्ते तक 429 घटनाएं हुईं। पिछले साल जहां 40 सिविलियन मारे गए थे, वहीं इस साल 77 सिविलियन मारे गए। इस साल दिसंबर के पहले हफ्ते तक सुरक्षा बलों के 80 जवान शहीद हुए। पिछले साल भी 80 जवान शहीद हुए थे। 

पाकिस्तानी आतंकियों को मिल रहा लोकल सपॉर्ट 
घाटी में इस साल पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है। पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में उनके लोकल काडर का साथ मिल रहा है। यह हाल तब है जब सेना ने मुठभेड़ की जगहों पर पत्थरबाजी करने वालों को सख्त चेतावनी दी थी कि उन्हें आतंकियों के ओवर-ग्राउंड सपॉर्टर के तौर पर देखा जाएगा। 

पिछले साल मारे गए थे 213 आतंकी 
इस साल कुल 311 आतंकी मारे गए। दिसंबर के पहले हफ्ते तक 223 आतंकी मारे गए थे यानी पिछले 3 हफ्तों में ही 88 आतंकी ढेर हुए हैं। दिसंबर के पहले हफ्ते तक मारे गए कुल आतंकियों में 93 विदेशी थे। 15 सितंबर को सूबे में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद से अगले 80 दिनों में ही 81 आतंकी मारे गए। वहीं, 25 जून से लेकर 14 सितंबर के बीच 51 आतंकी ढेर किए गए। 

जम्मू-कश्मीर में हिंसा
आतंकी घटनाओं का लेखा-जोखा      2016     2017     2018
मारे गए कुल आतंकी                     150        213       311
मारे गए विदेशी आतंकी                   —           —            93*
सिविलियन की मौत                        —             40       77*
शहीद हुए जवान                           82              80      80*
आतंकी घटनाएं                             322        342     429*

(* 2018 के आंकड़ों में मारे गए आतंकियों को छोड़कर बाकी आंकड़े 8 दिसंबर 2018 तक के हैं) 

एनकाउंटर की जगहों पर पत्थरबाजी 
15 सितंबर से 5 दिसंबर के बीच 2 सिविलियन भी मारे गए। वहीं, इस दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं में 170 लोग जख्मी हुए। इसी तरह, 25 जून से 14 सितंबर के बीच 8 सिविलियन मारे गए और पत्थरबाजी की वजह से 216 घायल हुए। पत्थरबाजी की ये घटनाएं ज्यादातर उन जगहों पर हुईं, जहां सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रहे थे। 

राज्यपाल शासन के दौरान ज्यादा मारे गए आतंकी 
जम्मू-कश्मीर में 19 जून को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पहले के मुकाबले ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने घाटी में कई शीर्ष आतंकी कमांडरों को भी ढेर किया। इनमें लश्कर कमांडर नवीद जट, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भतीजा स्नाइपर उस्मान हैदर और हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर अल्ताफ अहमद डार भी शामिल हैं। 

इस समय घाटी में सक्रिय हैं 250-300 आतंकी 
पिछले साल के मुकाबले ज्यादा सिविलियन की मौत के साथ-साथ सुरक्षा बलों के लिए जो एक और बड़ी चिंता की बात है, वह है स्थानीय आतंकियों की भर्ती में इजाफा। हिज्बुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी आतंकी संगठन स्थानीय कश्मीरियों को भर्ती कर रहे हैं। एक इंटिलिजेंस अधिकारी ने इस महीने की शुरुआत में हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हालांकि, हाल के महीनों में आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती के मामलों में कई आई है।' इस समय घाटी में 250 से 300 आतंकियों के सक्रिय होने का अनुमान है। 

स्थानीय चुनाव में बाधा पहुंचाने के पहले से ज्यादा सक्रिय हुए आतंकी 
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी घटनाओं में इजाफा की मुख्य वजह यह रही कि इस साल आतंकी पहले से ज्यादा सक्रिय थे। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने शहरी निकाय और पंचायत चुनावों में बाधा पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश की। अलगाववादियों ने भी चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए बहिष्कार की अपील की और बार-बार बंद का भी आह्वान किया। 

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