जब 2008 में चली थी ‘ताई हटाओ’ की मुहिम

इंदौर 
इंदौर से आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन के चुनावी किस्से कम नहीं है. 1989 से लगातार चुनाव जीत रहीं सुमित्रा महाजन के पहले चुनाव में ही विपक्षा दल कांग्रेस ने मुश्किलें खड़ीं कर दी थीं. दरअसल, सुमित्रा महाजन की दंगे के आरोपी के साथ फोटो ने बवाल मचा दिया था और दंगे के आरोपी की फोटो भी प्लान करके खिंचवाई गई थी. इसके बाद बीजेपी को प्रेस कांफ्रेस कर न केवल सफाई देनी पड़ी थी बल्कि इसके खंडन के पर्चे भी बंटवाने पड़े थे. वहीं 2009 के चुनाव में तो ताई हटाओ का नारा उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने बुलंद कर दिया था.

सुमित्रा महाजन ने 1989 में जब अपना पहला चुनाव लड़ा तब राम मंदिर का मुद्दा चल रहा था और इंदौर में दंगे हो गए और इस दौरान चुनाव आ गया. कांग्रेस ने इसी बीच प्लान बनाया कि सुमित्रा महाजन के साथ दंगे के मुख्य आरोपी की फोटो आ जाए तो चुनाव में मैसेज चला जाएगा कि दंगे के आरोपी ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है. इसी प्लान के तहत उसे सुमित्रा महाजन जब अपने प्रचार के लिए घर से निकल रहीं थी तभी उनके घर के बगल की गली से आरोपी को लाया गया. उसे सुमित्रा महाजन के बगल में खड़ा कर दिया गया और फोटो क्लिक हो गई.

फोटो के बाद बवाल मच गया और बीजेपी को सफाई देने के लिए प्रेस कांफ्रेस बुलानी पड़ी साथ ही पूरे शहर में पर्चे बटवाने पड़े. उस समय ताई का प्रचार देख रहे बाबू सिंह रघुवंशी का कहना है कि उस समय बीजेपी के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई थी. हालांकि बाद में सत्यता भी सामने आ गई कि ये कांग्रेस का षड़यंत्र था और ताई चुनाव भी जीत गईं.

वहीं बाबू सिंह रघुवंशी बताते हैं कि मालवा में एक परंपरा जोर पकड़ रही थी जिसमें नेताओं का खास बनने के लिए कार्यकर्ता अपने खून से तिलक करते थे. इस प्रथा को सुमित्रा महाजन ने ही खत्म कराया. वे बताते हैं कि कांग्रेस के एक कार्यकर्ता जो भांग का व्यापार करते थे उन्होंने प्रकाश चंद्र सेठी को अपने खून से तिलक किया तो उसे सबसे पहला भांग का लाइसेंस दे दिया गया.

उसी तर्ज पर बीजेपी के एक कार्यकर्ता अमर सिंह ने अपनी उंगली को ब्लेड से काटकर सुमित्रा महाजन का तिलक करना चाहा लेकिन ताई ने उसे मना कर दिया. उन्होंने कहा कि आपको खून बहाने की जरूरत नहीं है और यदि खून बहाना ही है तो देश के लिए बहाओ, सेना में भर्ती हो जाओ. लेकिन नेताओं के लिए इस तरह के काम मत करिए और इस तरह खून से तिलक लगाने की परम्परा को खत्म किया गया.

वहीं बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता सत्यनारायण सत्तन बताते हैं कि 2009 के चुनाव में तो एक नारा चल निकला था, 'ताई हटाओ, इंदौर बचाओ' और ये नारा भी बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला ने दिया था. वे खुलकर ताई के खिलाफ उतर गए थे लेकिन उस समय सुमित्रा महाजन के लोकसभा प्रभारी होने के नाते सत्यनारायण सत्तन ताई के साथ खड़े हो गए.

इसके बाद सत्तन को हार्ट अटैक आ गया डॉक्टरों ने उन्हें बाईपास कराने की सलाह दी लेकिन उन्होंने कहा कि पहले ताई पास हो जाएं उसके बाद ही बाईपास कराएंगे और इस चुनाव में सुमित्रा महाजन बामुश्किल 11 हजार मतों से जीत पाईं जबकि वो हर चुनाव लाखों वोटों से जीतती रहीं हैं. ये अलग बात है कि इस बार वही सत्तन सुमित्रा महाजन के खिलाफ हैं.

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