जब कार छोड़कर रिक्शे से ही चल दिए थे पूर्व PM अटल

 नई दिल्ली 
राजनीति में कुछ नेता ऐसे हैं जिनकी बातें अभी तक लोगों के मानस पटल पर छाई हैं। ऐसे ही थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (अटल बिहारी वाजपेई)। जिनकी विपक्षी दलों के नेता भी कद्र करते हैं। बात 1998 की है। लोकसभा चुनाव से पहले जब अटल बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कंपनीबाग में जनसभा करने आए थे। ट्रेन समय से आ गई, मगर तब तक उनको लेने आने वाली कार नहीं आई थी। उनके सिपहसलार किशन लाल सिक्का उनको रिसीव करने रेलवे स्टेशन पहुंचे। कार पहुंचने में देर हो गई तो वह रिक्शे से ही चल दिए। उन्होंने उस वक्त कहा-चलो कार से नहीं… आज रिक्शे से सफर किया जाए। रास्ते भर वह व्यंग्य विनोद से हंसाते हुए लाए। बता दें कि आज अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती है। 

जब वह पीएम बने तो सिक्का को दो गनर मिले थे। पुराना वाकया याद करके सिक्का कहते हैं कि अटल जी की सादगी उनकी पहचान थी। तब वह कुमार कुंज मेरे आवास तक आए और दाल मुरादाबादी का स्वाद लिया। किशन लाल सिक्का आज भी वो दिन याद करते हैं। वह कहते हैं कि उस जनसभा में काफी भीड़ उमड़ी थी। प्रत्याशी विजय बंसल के लिए अटल जी ने चुनावी जनसभा की थी पर विजय बंसल जीत नहीं सके। वह रनर रहे थे। उस जनसभा में अटल के भाषणों की याद करके सिक्का भावुक हो जाते हैं। किशन लाल सिक्का ने कभी पार्टी ने नहीं बदली। महानगर की कमान संभाल चुके किशन लाल सिक्का व्यवसायी हैं। अभी भी भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करते हैं। मुरादाबाद में उस दौर के गिने चुने लोग ही बचे हैं उनमें किशन लाल सिक्का भी एक हैं।

इन दिनों फिर वह भाजपा के लिए चुनाव प्रचार में जुटे हैं। वह कहते हैं कि भाजपा फिर से सत्ता में लौटे यही सपना है। अटल जी ने इस पार्टी को सींचने में पूजा जीवन लगा दिया। जनसंघ के समय से वह जुड़े रहे। फिर भाजपा के अध्यक्ष बने। अटल बिहारी वाजपेई यहां शकुंतला गौतम के आवास पर भी कई बार आए।

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