जन अभियान परिषद में लग सकता है ताला, सीएम कमलनाथ लेंगे फैसला !

भोपाल
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासन काल में रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी में रजिस्टर्ड कराई गई जन अभियान परिषद में फाइनली ताला लगाने की तैयारी हो गई है। इसके लिए जन अभियान परिषद की गवर्निंग बाडी की बैठक में इसी हफ्ते मंजूरी दिए जाने की तैयारी है। सीएम कमलनाथ से इस बैठक के लिए समय चाहा गया है। उधर परिषद में काम कर रहे अधिकारी कर्मचारी इस फैसले की आशंका के बाद भविष्य को लेकर सशंकित हैं और उनका कहना है कि सरकार संघ के समर्थकों के नाम पर जबरन उनके रोजगार छीनने की तैयारी में है।

यह परिषद शिवराज सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2007 से काम कर रहा है जिसमें पिछले 12 सालों से 511 अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें से 416 को 24 सितम्बर 2018 को नियमित किया जा चुका है जबकि बाकी 81 कलेक्टर रेट पर काम कर रहे हैं। नियमित हुए कर्मचारियों व अधिकारियों का नोटिफिकेशन भी राज्य सरकार जारी कर चुकी है। परिषद बंद किए जाने को लेकर दिए जा रहे तर्कों में एक बात यह भी सामने आई है कि सरकार एप्को और जन अभियान परिषद के काम एक जैसे बताकर इसे बंद करना चाहती है जबकि सूत्रों का कहना है कि दोनों के ही काम अलग-अलग तय हैं।

परिषद में चल रही चर्चा के मुताबिक राज्य सरकार परिषद को औद्योगिक संबंध अधिनियम 1980 और औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 को आधार बनाकर डिजाल्व करने की तैयारी है। इसके लिए कर्मचारियों को एक से दो माह का वेतन देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने पर विचार चल रहा है। इसकी जानकारी मिलने के बाद कर्मचारियों का कहना है कि सरकार जबरन उन्हें निशाना बना रही है।

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