निजी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में आरक्षण का लाभ न देने पर मप्र हाईकोर्ट ने सरकार से मांगी जानकारी
भोपाल
प्रदेश के निजी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लिए लागू किया गया 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न दिये जाने पर मप्र हाईकोर्ट ने सरकार से जानकारी तलब की है। एक जनहित याचिका पर एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा एवं जस्टिस विजय शुक्ला की खंडपीठ ने केंद्र सरकार, एमसीआई के सचिव, डायरेक्टर मेडिकल कॉलेज, अरबिंदो इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंस इंदौर, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर, आरडीगार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन, चिरायू मेडिकल कॉलेज भोपाल, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल, एलएन मेडिकल कॉलेज भोपाल सहित प्रदेश के 20 निजी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। राहुल कुमार मिश्रा ने याचिका दायर कर बताया कि केन्द्र सरकार ने 12 जनवरी 2019 को संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन करते हुए सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी थी। इसके बाद मप्र सरकार ने 19 जून 2019 को इसे राज्य में लागू करते हुए गाइडलाइन तय की थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रम्हानंद पांडे ने कोर्ट को बताया कि विगत 26 जुलाई से नीट यूजी 2019 की काउंसलिंग शुरू हुई। उन्होंने बताया कि सरकार ने शासकीय मेडिकल कॉलेजों तो उक्त आरक्षण का प्रावधान लागू किया, लेकिन निजी मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में इसे लागू नहीं किया। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अपने इस विशेषाधिकार से वंचित हो रहे हैं। याचिका में मांग की गई कि वर्तमान काउंसलिंग प्रकिया को निरस्त कर उक्त आरक्षण के प्रावधान को लागू करते हुए नए तरीके से काउंसलिंग कराई जाए।