छोटे भाई अनिल को फिर बचाएंगे मुकेश अंबानी! दिवालिया हो रही आरकॉम को खरीद सकती है RIL

 
नई दिल्ली 

आर्थ‍िक रूप से खस्ताहाल चल रहे अनिल अंबानी के समूह के लिए एक बार फिर उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी संकटमोचन बन सकते हैं. अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) दिवालिया होने की प्रक्रिया से गुजर रही है और अब उच्च पदस्थ सूत्रों से खबर आ रही है कि मुकेश अंबानी के रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की कंपनी जियो आरकॉम के एसेट खरीद सकती है.

आरकॉम इन्सॉल्वेंसी यानी दिवालिया होने की प्रक्रिया से गुजर रही है और इसके तहत इसके एसेट यानी परिसंपत्तियों की बिक्री की जानी है. सूत्रों के अनुसार, रिलायंस जियो इन एसेट के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रही है.

इस घटना से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमारे सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे को बताया, 'यह खरीद अंबानी बंधुओं के लिए दो तरीके से महत्वपूर्ण है. आरकॉम के स्पेक्ट्रम और टावर हासिल करने से रिलायंस जियो की सेवाओं में मजबूती आएगी जो कि अब 5जी शुरू करने की तैयारी कर रही है. दूसरी तरफ, दिवालिया कंपनी की नवी मुंबई में काफी जमीनें हैं (धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी या डीएकेसी जिसे धीरूभाई ने 90 के दशक में हासिल किया था).'

आरकाॅम पर है 46000 करोड़  का कर्ज

गौरतलब है कि डिफाल्ट के समय रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास कुल 46,000 करोड़ रुपये का कर्ज था. सूत्रों के अनुसार, जियो ने अपने फाइबर और टावर कारोबार को दो इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्टों को सौंप दिया है और अपने कर्ज में भी कटौती की ताकि आरकॉम की खरीद और 5जी निवेश के लिए जगह बनाई जा सके. जियो का कानूनी विभाग आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया पर गहराई से नजर रखे हुए है.

आरकॉम से मुकेश का भी भावनात्मक रिश्ता

इसके पहले मार्च में अचानक सबको चौंकाते हुए मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई अनिल को जेल जाने से बचाया था और 580 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जो कि अनिल की कंपनी को स्वीडन की कंपनी एरिक्सन को चुकाना था. आरकॉम का मुकेश अंबानी परिवार के साथ भी भावनात्मक रिश्ता है, क्योंकि इसकी शुरुआत अविभाजित परिवार द्वारा पिता धीरूभाई अंबानी के सपने को पूरा करने के लिए 2000 के दशक में की गई थी.

जियो अब भी मुंबई सहित देश के 21 सर्किल में 850 मेगाहर्ट्ज बैंड में आरकॉम के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है. डिफाल्ट होने से पहले आरकॉम ने अपने 850 मेगाहर्ट्ज बैंड के 122.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम जियो को बेचने के लिए 7,300 करोड़ रुपये की एक डील भी की थी, लेकिन संचार मंत्रालय से इसकी इजाजत न मिलने की वजह से सौदा रद्द करना पड़ा.

इसके पहले आरकॉम अपने स्विचिंग नोड और फाइबर को 5,000 करोड़ रुपये में बेचने का सौदा कर चुकी है. आरकॉम ने अपना रियल एस्टेट कारोबार पहले कनाडा की कंपनी ब्रूकफील्ड को बेचेन का प्लान बनाया था.

25000 करोड़ की प्रॉपर्टी

नवी मुंबई का धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी करीब 133 करोड़ एकड़ में फैला आईटी पार्क है. एचडीएफसी रियल्टी की स्टडी के मुताबिक इसका वैल्यूएशन करीब 25,000 करोड़ रुपये का है. अपनी संपत्त‍ि बेचकर कर्ज चुकाने की योजना में विफल रहने पर आरकॉम ने इस साल 1 फरवरी को दिवालिया होने के लिए आवेदन करने का निर्णय लिया. आरकॉम की दो ईकाइयों रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इन्फ्राटेल पर बैंकों का कुल 88,000 करोड़ रुपये का बकाया है.

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