छोटे कर्जदारों का ऋण माफ करने की तैयारी, केंद्र आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को दे सकती है राहत

नई दिल्ली 
केंद्र सरकार आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के छोटे कर्जदारों का ऋण माफ करने की योजना पर काम कर रही है। इस योजना पर सरकार करीब दस हजार करोड़ रुपये खर्च कर सकती है। कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने रविवार को कहा कि आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के छोटे कर्जदारों के लिए प्रस्तावित कर्जमाफी की शर्तों को लेकर सूक्ष्मवित्त उद्योग के साथ चर्चा की गई है।  यह कर्जमाफी व्यक्तिगत दिवाला एवं ऋणशोधन के तहत होगी और यह ईब्ल्यूएस श्रेणी के सबसे बदहाल मामलों के लिए होगी। प्रस्तावित कर्जमाफी की पेशकश ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत नई शुरुआत योजना के तहत होगी।

श्रीनिवास ने कहा कि यदि आपने एक बार नई शुरुआत के प्रावधान का लाभ उठा लिया तो आप अगले पांच साल तक इसका लाभ नहीं उठा सकेंगे।  यह बकाया कर्ज को कम करने जैसा होगा। पूरे देश भर में तीन से चार साल की अवधि में यह 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगा। उन्होंने बताया कि हमने सूक्ष्मवित्त उद्योग के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है और उनकी चिंताओं पर गौर किया है। हमारा मकसद है कि पात्रता के आधार पर छोटे कर्जदारों का कर्ज माफ किया जाए। 

60 हजार रुपये आय वालों को मिल सकता है लाभ
दिवाला एवं शोधन अक्षमता के तहत ‘नई शुरुआत’ योजना में कई नियम-शर्तें हैं, इसमें एक यह भी है कि कर्जदार की सालाना आय 60 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही कर्जदार की कुल संपत्ति 20 हजार रुपये से ज्यादा नहीं हो और ब्याज और अन्य देनदारियों को जोड़कर कर्ज 35 हजार रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए। किसी व्यक्ति के पास घर है तो भी उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा। 
 
गांव-कस्बों के लोगों को मिलेगा फायदा
सूक्ष्म वित्त उद्योग समूह की कंपनी गांव-कस्बों में छोटे-छोटे कर्ज बांटती हैं। इसमें पशु खरीदने, छोटी दुकान खोलने से लेकर कारोबारी ऋण शामिल है। ऐसे में यह राहत दी जाती है तो उद्योग समूह के साथ कर्जदाता को बड़ी राहत मिलेगी। गौरतलब है कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में सूक्ष्म वित्तीय उद्योग समूहों के लिए कर्ज जुटाना काफी महंगा हो गया है। 

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