छोटे उद्यमों को बड़ी राहत देने का प्रस्ताव 

नई दिल्ली 
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री शिव प्रसाद शुक्ल की अध्यक्षता वाले एक मंत्री समूह ने छोटे उद्योगों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) रजिस्ट्रेशन से छूट की सीमा मौजूदा 20 लाख रुपये से बढ़ाने का सुझाव दिया है। हालांकि, इस मंत्री समूह ने यह सीमा तय करने का फैसला केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल पर छोड़ दिया है।  
दरअसल, लॉ कमिटी ने भी जीएसटी रजिस्ट्रेशन से छूट का लाभ 40 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को देने का सुझाव दिया था, जिसका दिल्ली सरकार ने भी समर्थन किया था। वहीं, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने 50 से 75 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले उद्योगों के लिए फ्लैट पेमेंट की सुविधा का प्रस्ताव रखा जो वैल्यु ऐडेड टैक्स (वैट) के तहत प्राप्त थी। 

जीएसटी छूट की सीमा बढ़ाने से कई छोटे-छोटे उद्यमों को कानूनी पचड़ों से मुक्ति तो मिल जाएगी, लेकिन इससे टैक्स चोरी की घटनाएं भी बढ़ने की आशंका पैदा होगी क्योंकि तब कई उद्योग टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में ही नहीं आएंगे। मंत्रिमंडलीय समिति ने 50 लाख रुपये तक सालाना टर्नओवर वाली सेवा प्रदाता कंपनियों के लिए 'कंपोजिशन' स्कीम को आसान बनाने का प्रस्ताव रखा जिसके तहत 5% लेवी और और आसान रिटर्न का सुझाव दिया गया। हालांकि, पहले इस प्रस्ताव को इस दलील के साथ खारिज किया जा चुका है कि इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। 

गौरतलब है कि अभी कंपोजिशन स्कीम की सुविधा छोटे उत्पादकों और व्यापारियों को उपलब्ध है जिसके लिए कंपोजिशन स्कीम की सीमा 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही कहा गया है कि इन उद्यमों को तिमाही की जगह सालाना रिटर्न भरने की अनुमति दी जाए। हालांकि, इन्हें चालान के साथ तिमाही आधार पर ही टैक्स पेमेंट करने दिया जाए। 

उधर, सुशील मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह ने केरल जैसे आपदा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जीएसटी रेट बढ़ाने की जगह संबंधित राज्य/राज्यों को सेस लगाने की छूट देने की वकालत की। हालांकि, उसने सेस लागू करने से पहले जीएसटी काउंसिल से अनुमति लेने की शर्त रखी। 
 

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