छत्तीसगढ़ में अभी खाली ही रहेगी विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी

रायपुर
छत्तीसगढ़ में नई विधानसभा के गठन के करीब आठ महीने के बाद भी उपाध्यक्ष की कुर्सी खाली पड़ी है। मौजूदा मानसून सत्र में इसके लिए चुनाव की उम्मीद थी, लेकिन अब इसकी संभावना नजर नहीं आ रही है। सत्र की अब महज दो ही बैठकें होनी हैं। ऐसे में उपाध्यक्ष की कुर्सी कुछ और दिनों तक खाली ही रहेगी। ऐसे में इस कुर्सी के दावेदार कांग्रेस विधायकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा।

विधानसभा उपाध्यक्ष के पद के लिए पार्टी के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा, रामपुकार सिंह समेत कुछ और वरिष्ठ विधायक दावेदार हैं। भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई कांग्रेस ने राज्य कैबिनेट में एक मंत्री का पद, प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी लोकसभा चुनाव की वजह से खाली रखी थी।

पार्टी सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के आधार पर इन तीनों पदों को भरा जाना था। इनमें से दो पद यानी कैबिनेट मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई है। दोनों ही पद आदिवासियों के खाते में गए हैं। अब केवल उपाध्यक्ष की कुर्सी ही रह गई है। यह पद सामान्य वर्ग के किसी विधायक को दिए जाने की संभावना जताई जा रही है।

सामान्यत विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी विपक्ष के किसी विधायक को दी जाती है। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के वक्त विपक्षी दल भाजपा के विधायक बनवारीलाल अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने थोड़े ही समय बाद उन्हें हटा कर कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह को उपाध्यक्ष बना दिया।

इसके बाद तीन बार सत्ता में रही भाजपा ने भी यह पद अपने ही पास रखा। ऐसे में इस बार कांग्रेस भी उपाध्यक्ष की कुर्सी अपने पास ही रखेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले ही विपक्ष के किसी विधायक को उपाध्यक्ष बनाए जाने की संभावना को खारिज कर चुके हैं।

पार्टी के वरिष्ठ विधायक रामपुकार सिंह और खेलसाय सिंह का नाम भी दावेदारों की सूची शामिल रहा। दोनों सरगुजा संभाग से आते हैं और आदिवासी हैं। चूंकि सरकार में चार आदिवासी विधायक मंत्री बनाए जा चुके हैं। सरगुजा संभाग से कैबिनेट में तीन मंत्री हैं। इस वजह से इन दोनों की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।

देवेंद्र बहादुर सिंह भी इस कुर्सी के संभावित उम्मीदवरों में शामिल थे, लेकिन आदिवासी होने के कारण अब इनकी भी दावेदारी खत्म मानी जा रही है। ओबीसी वर्ग के धनेंद्र साहू मंत्री पद के दावेदार थे। मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद उन्हें उपाध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन लोकसभा का टिकट मिलने के बाद अब उनकी भी दावेदारी खत्म मानी जा रही है।

विधानसभा में कांग्रेस के कुल सात ब्राह्मण विधायक हैं। इनमें केवल एक रविंद्र चौबे को ही मंत्री पद मिला है। बाकी ब्राह्मण विधायकों में तीन पहली बार के विधायक हैं। ऐसे में इस वर्ग से सत्यानाराण शर्मा, अस्र्ण वोरा और अमितेष शुक्ल कुर्सी के दावेदार हैं।

भूपेश कैबिनेट में सर्वाधिक मंत्री दुर्ग और सरगुजा संभाग से बनाए गए हैं। अकेले दुर्ग संभाग से छह मंत्री हैं, इनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। सरगुजा से फिलहाल तीन मंत्री हैं। कैबिनेट में बिलासपुर संभाग का प्रतिनिधत्व दो मंत्री कर रहे हैं। रायपुर और बस्तर संभाग से केवल एक-एक मंत्री हैं, लेकिन पीसीसी अध्यक्ष की कुर्सी बस्तर के खाते में जा चुकी है।

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