छत्तीसगढ़ में कम होगा हाथियों का आंतक, लेमरू एलीफेंट रिजर्व में भेजे जाएंगे 226 हाथी

रायपुर
 प्रदेश के 9 जिलों में तबाही मचा रहे 226 हाथी लेमरू एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट भेजे जाएंगे। 14 दलों में बंटे हाथियों के एक-एक दल की अस्थायी फेंसिंग के घेरे में लेमरू में एंट्री करवाई जाएगी। इसके लिए प्लान बना लिया गया है। हाथियों को एक फार्मूले के अनुसार खदेड़कर लेमरू भेजा जाएगा। लेमरू को एलीफेंट रिजर्व घोषित करने की सारी कागजी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। सरकार से मंजूरी के बाद लेमरु एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट का प्रस्ताव नोटिफिकेशन के लिए भेज दिया गया है। राजपत्र में प्रकाशन के साथ ही लेमरु प्रोजेक्ट पर अंतिम मुहर लग जाएगी। वन विभाग ने 1995 स्क्वेयर किमी के इलाके को लेमरू के लिए आरक्षित किया है।

राज्य में इतने बड़े इलाके का एक भी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट नहीं है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व फारेस्ट का इलाका केवल 12 सौ स्क्वेयर किलोमीटर है। हाथियों की संख्या को देखते हुए उनका इतना बड़ा इलाका केवल उन्हीं के लिए आरक्षित किया जा रहा है। लेमरू को एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट करने की प्रक्रिया करीब 13 साल पहले शुरू की गई थी। बाद में अचानक ही सरकारी सिस्टम चुप बैठ गया। अब इसे मंजूरी मिली है।

इसलिए लेमरु को बना रहे हाथियों का ठिकाना घना जंगल, बारह मासी पानी वाली 6 नदियां : लेमरु को एलीफेंट रिजर्व के तौर पर विकसित करने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। लेमरु के अलग-अलग हिस्से से 6 नदियां ऐसी गुजरती हैं, जिनमें बारह महीने पानी रहता है। जंगल बेहद घना है। इस वजह से हाथियों के भोजन की पूरी व्यवस्था है। नदी में हर सीजन और मौसम में पानी रहता है। इस वजह से पानी की दिक्कत नहीं होगी। हसदेव बांगों का पूरा कैचमेंट एरिया इसी जंगल के दायरे में है। इसमें भी हर सीजन में पानी रहता है। पानी और भोजन दोनों उपलब्ध होने के कारण ही लेमरु को एलीफेंट रिजर्व के तौर पर चुना गया।

केवल 80 गांव, आबादी 20 हजार से ज्यादा नहीं : 1995 स्क्वेयर किलोमीटर के दायरे में केवल 80 गांव हैं। इनमें आठ-दस को छोड़कर बाकी आठ-दस घरों के गांव हैं। अफसरों का कहना है कि ऐसे गांव वाले स्वच्छा से यहां रहना चाहते हैं। अगर वे कहीं और बसना चाहते हैं तो उनका व्यवस्थापन नियमानुसार किया जाएगा अलबत्ता गांव वालों को ऐसे मकान बनाकर दिए जाएंगे जो हाथियों के खतरे से उन्हें बचा सके। ज्यादा गांव और आबादी नहीं होने के कारण हाथी यहां बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के रह सकेंगे।

फॉरेस्ट के 3 डिवीजन आएंगे दायरे में  : लेमरु एलीफेंट प्रोजेक्ट में फॉरेस्ट के तीन डिवीजन दायरे में आएंगे। कोरबा और कटघोरा का सबसे बड़ा इलाका आएगा। कुछ हिस्सा रायगढ़ के धरमजयगढ़ डिवीजन का शामिल किया जाएगा। अभी 90 फीसदी हाथियों का दल इसी इलाके में भटककर रहा है। ऐसे में उन्हें एलीफेंट रिजर्व के कोर एरिया में पहुंचाने में दिक्कत नहीं होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *