छत्तीसगढ़ में ‘अल्लाह हू अकबर’ कहकर फंसे सिद्धू , राज्य के सिख संगठन ने लिखा पत्र

नई दिल्ली            
पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपने बयानों को लेकर फिर फंस सकते हैं. बिहार के कटिहार में दिए गए बयानों के बाद सिद्धू अब मुस्लिम समर्थन के लिए अल्लाह हू अकबर कहकर घिर गए हैं. छत्तीसगढ़ सिख संगठन के प्रमुख अमरजीत सिंह ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोला है. अमरजीत सिंह छाबड़ा ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने पत्र में लिखा है कि सिद्धू ने मुस्लिम समर्थन के लिए अल्लाह हू अकबर कहकर सिख धर्म के परंपरा और नियम का उल्लंघन किया है.

छाबड़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अक्टूबर-2016 में जारी अपने आदेश में कहा था कि कोई भी धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकता है. इधर, एसजीपीसी कार्यालय के सूत्रों के मुताबाकि, फैक्स के जरिए अमरजीत सिंह छाबड़ा ने शिकायत भेजी है.सिद्धू के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं.

नोटिसइससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू कटिहार में दिए गए बयानों को लेकर घिरे थे. इस मामले में चुनाव आयोग ने सिद्धू के उस बयान पर उनसे सफाई मांगी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हटाने के लिए सभी मुस्लिम मतदाताओं से एकजुट होने की अपील की थी. शनिवार को चुनाव आयोग ने सिद्धू के खिलाफ कारण बताओ का नोटिस जारी किया है. चुनाव आयोग ने सिद्दू से 24 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. नवजोत सिंह सिद्धू ने बिहार के कटिहार में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए यह विवादित बयान दिया था. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सिद्धू के इस बयान पर चुनाव आयोग से शिकायत की थी.

कटिहार रैली में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था 'यहां जातपात में बांटने की राजनीति हो रही है, मैं अपने मुस्लिम भाइयों को एक ही बात कहने आया हूं, आपका ऐसा क्षेत्र है जहां आप अल्पसंख्यक बनकर नहीं बल्कि बहुसंख्यक बनकर हो. इस क्षेत्र में आपका वर्चस्व 62 फीसदी का है और ये बीजेपी वाले षडयंत्रकारी लोग आपको बांटने का प्रयास करेंगे, आप इकठ्ठा रहें तो कांग्रेस को दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकेगी.'

इसके अलावा सिद्धू ने इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को निशाने पर लिया और पीएम मोदी की तुलना फेंकू से की थी.इससे पहले बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी ऐसा ही बयान दिया था, जिसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए चुनाव आयोग ने 48 घंटे के लिए मायावती के प्रचार पर पाबंदी लगाई थी.

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