छठा चरण: 7 राज्यों की 59 सीटों पर होगी वोटिंग, बीजेपी के सामने 44 सीट बचाने की चुनौती

नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के छठे चरण में वोटर रविवार को 7 राज्यों की कुल 59 सीटों पर 979 उम्मीदवारों में अपने सांसद चुनेंगे। बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में जहां यह वोटिंग का एक अन्य चरण होगा, वहीं दिल्ली और हरियाणा की सभी सीटों पर इस फेज में वोट डाले जाएंगे। त्रिपुरा वेस्ट लोकसभी सीट के तहत 26 विधानसभा क्षेत्रों की 168 सीटों पर रविवार को ही पुनर्मतदान भी होगा। त्रिपुरा वेस्ट में पहले चरण में यानी 11 अप्रैल को वोटिंग हुई थी लेकिन चुनाव आयोग ने उसे रद्द घोषित कर दिया था।

बीजेपी के लिए बहुत कुछ दांव पर
बीजेपी ने 2014 में 35.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ इन 59 सीटों में से 44 पर जीत दर्ज की थी, हालांकि बाद में एक सीट पर उपचुनाव में हार गई थी। इस चरण में बीजेपी का वोट शेयर 2014 में उसके नैशनल वोट शेयर 31 प्रतिशत से करीब 5 प्रतिशत ज्यादा रहा था। उसकी सहयोगी एलजेपी ने भी एक सीट जीता था। इसका मतलब है कि इस चरण में बीजेपी को ही सबसे ज्यादा सीटों को बचाने की चुनौती है। इन 59 सीटों में टीएमसी के 8, कांग्रेस के 2, एसपी के 2 और आइएनएलडी के भी 2 मौजूदा सांसद हैं। बीजेपी की सहयोगियों एलजेपी और अपना दल ने भी 1-1 सीट पर जीत हासिल की थी।

रोचक क्या है?
दिल्ली में कांग्रेस और AAP ने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए गठबंधन को लेकर बातचीत की थी, जो नाकाम रही। लिहाजा यहां बीजेपी, कांग्रेस और AAP के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है। 2014 में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। पड़ोसी हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों के लिए भी रविवार को वोट डाले जाएंगे, जहां के नतीजे इसी साल बाद में होने वाले विधानसभा चुनाव के संभावित नतीजे की झलक होंगे। हरियाणा में बीजेपी ने पिछली बार 7 सीटों पर कब्जा किया था। बिहार में भी बीजेपी की लड़ाई बहुत बड़ी है। इस चरण में पार्टी ने 2014 में अपनी जीती हुईं 3 सीटों को सहयोगी जेडीयू को दिया है जो पिछली बार उसकी प्रतिद्वंद्वी के तौर पर मैदान में थी।

यूपी में पूर्वांचल की 14 सीटें, प्रियंका की प्रतिष्ठा भी दांव पर
यूपी के पूर्वांचल की 14 सीटों पर भी इस चरण में वोटिंग हैं। यूपी में यह चरण बीजेपी, कांग्रेस और एसपी-बीएसपी गठबंधन तीनों के लिए काफी अहम हैं। बीजेपी ने पिछली बार यूपी की इन 14 में से 12 सीटों पर कब्जा किया था। हालांकि, वोटों का गणित एसपी-बीएसपी गठबंधन के पक्ष में है, जिनका पिछली बार का संयुक्त वोट शेयर सिर्फ एक सीट को छोड़कर सभी सीटों पर बीजेपी से ज्यादा है। कांग्रेस के लिए भी पूर्वांचल काफी अहम है क्योंकि 2009 में जब वह यूपी में जिन 21 सीटों पर जीती थी उनमें से 18 सीटें अकेले पूर्वांचल की थीं। यहां कांग्रेस की बागडोर प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथों में है। फूलपुर लोकसभा सीट जहां बीजेपी ने पिछली बार जीत हासिल की थी लेकिन 2018 उपचुनाव में हार गई थी, वहां भी इसी चरण में वोटिंग है। एसपी-बीएसपी के बीच आपसी राजनीतिक समझ के प्रयोग की शुरुआत फूलपुर और गोरखपुर (जहां आखिरी चरण में 19 मई को वोटिंग है) से ही हुई थी, जो आगे चलकर ढाई दशकों बाद दोनों समाजवादी दलों के साथ आने की बुनियाद साबित हुई।

भोपाल में दिग्विजय बनाम प्रज्ञा मुकाबले पर देशभर की नजर
छठे चरण में मध्य प्रदेश की 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी ने पिछली बार जीत हासिल की थी और बाकी एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। इनमें से भोपाल पर देशभर की नजर है। यहां मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह और बीजेपी की साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बीच है जो 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी हैं। झारखंड में भी सत्ताधारी बीजेपी को महागठबंधन से तगड़ी चुनौती मिल रही है जहां कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा समेत 4 दल एक साथ हैं। बात अगर पड़ोसी पश्चिम बंगाल की करें तो इस चरण में यहां की 8 सीटों पर वोटिंग है। ये सभी सीटें झारखंड सीमा से सटे आदिवासी बेल्ट की हैं। 2014 में इन सभी 8 सीटों पर टीएमसी ने कब्जा किया था। हालांकि, 2018 के पंचायत चुनावों में बीजेपी ने यहां शानदार प्रदर्शन किया था।

छठे चरण की इन 59 सीटों में से 34 'रेड अलर्ट सीट' हैं, जिसका मतलब है कि इन सीटों पर प्रत्येक में 3 या उससे ज्यादा उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। चुनाव लड़ रहे 20 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, इनमें से सबसे ज्यादा बीजेपी के 26 हैं। आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के मामले में कांग्रेस दूसरे (20) और बीएसपी (19) तीसरे नंबर पर है। इस चरण में कुल 54 उम्मीदवार करोड़पति हैं, जिन

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