चौथे चरण का रण: BJP के सामने किला बचाने, कांग्रेस के लिए कुछ कर दिखाने की चुनौती

 
नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव 2019 के रण में चौथे चरण की 71 संसदीय सीटों पर 29 अप्रैल यानी सोमवार को वोट डाले जाएंगे. इस चरण में बीजेपी के सामने अपने किले को बचाने की चुनौती है जबकि कांग्रेस के सामने कुछ कर दिखाने की. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह से चुनावी संग्राम में पसीना बहाने में जुटे हैं. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी खोई हुई सियासी जमीन को पाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं.

लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 9 राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. इनमें बिहार की पांच, जम्मू कश्मीर की एक, झारखंड की तीन, मध्य प्रदेश की छह, महाराष्ट्र की 17, ओडिशा की छह, राजस्थान की 13, उत्तर प्रदेश की 13 और पश्चिम बंगाल की आठ सीटें शामिल हैं.

चौथे चरण की जिन 71 सीटों पर वोटिंग होनी है, 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के लिहाज से इसे देखें तो बीजेपी ने विपक्ष का पूरी तरह से सफाया कर दिया था. 71 में से बीजेपी अकेले दम पर 45 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. जबकि बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ यानी एनडीए 56 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. बीजेपी के अलावा शिवसेना को 9 और एलजेपी को 2 सीटें मिली थीं.

वहीं, कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली थीं, जिनमें मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा और पश्चिम बंगाल की बेहरामपुर सीट थी. छिंदवाड़ा से कमलनाथ और बेहरामपुर से अधीर रंजन चौधरी जीतने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस के अलावा नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी 6 सीटें जीती थी. टीएमसी 6 और सपा 1 सीट जीती थी.

बीजेपी के सामने 45 सीटें बचाने की चुनौती

ऐसे में चौथा चरण बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बीजेपी के सामने अपनी 45 सीटों को बचाने की चुनौती है. जबकि राहुल गांधी के सामने कांग्रेस को दो सीटों से आगे बढ़ाने का चैलेंज है. राजस्थान की जिन 13 सीटों पर चुनाव हैं, उनमें कांग्रेस एक भी नहीं जीत पाई थी. ये सभी बीजेपी को मिली थीं. मध्य प्रदेश की जिन 6 सीटों पर चुनाव हैं, उनमें कांग्रेस एक सीट ही जीत सकी थी बाकी पांच सीटें बीजेपी को मिली थीं. ऐसे में कांग्रेस की नजर राजस्थान और मध्य प्रदेश के साथ महाराष्ट्र पर है. राजस्थान और मध्य प्रदेश में बदली सत्ता ने कांग्रेस को जीत की उम्मीद दे दी है.

महाराष्ट्र की 17 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में ये सभी 17 सीटें शिवसेना और बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. शिवसेना को 9 और बीजेपी को 8 सीटें मिली थीं. कांग्रेस और एनसीपी को एक भी सीट नहीं मिली थी. इस बार बदले हुए समीकरण में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन ने शिवसेना-बीजेपी के दुर्ग भेदने की पूरी तैयारी कर रखी है. वहीं, झारखंड की तीन सीटों पर चुनाव होने हैं, ये सभी बीजेपी के पास हैं. इस बार कांग्रेस महागठबंधन के जरिए जीत की आस लगाए हुए है.

उत्तर प्रदेश की 13 सीटों पर चौथे चरण के तहत मतदान होना है. 2014 में बीजेपी को इनमें से 12 और सपा को एक सीट मिली थी. इस बार सपा-बसपा गठबंधन से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल रही है. जबकि कांग्रेस भी कई सीटों पर जीत की आस लगाए हुए है. हालांकि बीजेपी की खास नजर बंगाल और ओडिशा पर है. बंगाल की जिन 8 सीटों पर चुनाव हैं इनमें से एक सीट बीजेपी और एक सीट कांग्रेस को मिली थी. बाकी 6 सीटें टीएमसी के खाते में गई थीं. इस बार बीजेपी अपनी सीटों को बढ़ाने में जुटी है. जबकि ओडिशा की जिन 6 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, ये सभी सीटें बीजेडी के पास हैं. बीजेपी ओडिशा में अपनी जगह बनाने की कवायद में जुटी है.

इस तरह चौथे चरण के तहत होने जा रहे मतदान में जहां बीजेपी के पास 45 सीटों की एक बड़ी संख्या को बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं कांग्रेस  2014 के अपने सबसे बुरे प्रदर्शन को सुधारते हुए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का प्रयास करेगी.

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