चौथी तिमाही में 5.8% ग्रोथ, 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी
नई दिल्ली
मोदी सरकार के शपथ लेने के दूसरे दिन ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बुरी खबर आई है। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश का आर्थिक विकास दर घटकर 6 प्रतिशत से भी नीचे चला गया है। अभी-अभी जारी हुए आंकड़ों के मुताबकि, जनवरी-मार्च तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) महज 5.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
बेरोजगारी दर भी आसमान पर
उधर, लेबर सर्वे के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष में देश में बेरोजगारी दर भी 6.1% पर रही है। ध्यान रहे कि जनवरी महीने में ठीक यही आंकड़ा लीक हुआ था और तब कहा गया था कि देश में बेरोजगारी का आंकड़ा वर्ष 1972-73 के बाद पहली बार इतनी ऊंचाई को छू लिया है।
ग्रोथ में कितनी गिरावट?
चौथी तिमाही के बेहद कमजोर आंकड़े का असर पूरे वित्त वर्ष की जीडीपी ग्रोथ रेट पर पड़ा जो 7 प्रतिशत से नीचे फिसलकर 6.8 प्रतिशत पर आ गया है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 प्रतिशत रही थी जबकि पूरे वित्त वर्ष में देश का आर्थिक विकास 7.2 प्रतिशत की दर से हुआ था। यानी, जनवरी-मार्च तिमाही में वित्त वर्ष 2017-18 के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में 2.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, 2017-18 के पूरे वित्त वर्ष के जीडीपी ग्रोथ रेट के मुकाबले वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई।
चीन से भी पिछड़े
पिछले पांच साल की किसी भी चौथी तिमाही में 6 प्रतिशत से कम की विकास दर नहीं रही थी। साथ ही, 5.8% का ग्रोथ रेट पिछले 17 तिमाहियों की विकास दर में सबसे कम है जो पिछले दो वर्षों में पहली बार चीन की विकास दर से भी नीचे है। वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 8.2%, दूसरी तिमाही में 7.1% जबकि तीसरी तिमाही में 6.6% रहा था।