चीन को 17 अरब डॉलर का झटका देने की तैयारी, चीनी आयात पर रोक के लिए ई-कॉमर्स नियम बदलेंगे
नई दिल्ली
भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के चलते चीन को बड़ा झटका देने के लिए सरकार जल्द ही ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नए नियम बनाने जा रही है। चीनी आयात पर अंकुश लगाने के मद्देनजर ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर बेचे जा रहे उत्पाद को देश में बनाया जा रहा है या नहीं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि नए कानून में उत्पादों पर उसके मूल देश का नाम लिखना भी अनिवार्य किया जा सकता है। संभावना है कि भारत की ई-कॉमर्स पॉलिसी में इसे जल्द जोड़ा जा सकता है। इस बीच रियल एस्टेट संगठनों ने भी चीनी उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करने का भरोसा दिया है।
ग्राहक फैसला कर सकेंगे: नई नीति आने के बाद ग्राहक फैसला कर सकेंगे कि वह भारत में बना सामान खरीदना चाहते हैं या नहीं। सूत्रों का कहना है कि इस नीति को जल्द ही आम लोगों प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
भारत में चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने को लेकर राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू हो चुके हैं। व्यापारियों ने केंद्र सरकार से ई-कॉमर्स को चीनी वस्तुओं की बिक्री को प्रतिबंधित करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है। भारत के कुल चीनी आयात में से करीब 17 खरब डॉलर का सामान खुदरा व्यापारी देशभर में बेचते हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने घरेलू कंपनियों के लिए निर्यात के अवसरों का पता लगाने को भारतीय मिशनों के साथ कपड़ा और चमड़ा उत्पादों सहित 1,500 उत्पादों की सूची साझा की है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इनमें 550 ऐसे उत्पाद हैं जिनमें भारत और चीन दोनों बड़े निर्यातक हैं। वाणिज्य मंत्रालय की कोशिश है कि निर्यात को मजबूती प्रदान की जा सके।
भारत-चीन व्यापार पर एक नजर
- 230 अरब डॉलर होने का अनुमान वर्ष 2028 तक
- 150 अरब डॉलर होने का अनुमान वर्ष 2024 तक भारतीय ई-कॉमर्स का
- 30 अरब डॉलर का है भारत का मौजूदा ई-कॉमर्स बाजार