चीन के लिए अब आशा करने की कोई वजह नहीं है : थियानमेन चौक कार्यकर्ता

हांगकांग
थियानमेन चौक पर 30 साल पहले टैंकों और गोलियों की मार झेलकर लोकतंत्र के पक्ष में प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं को अपना सपना अब दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।

थियानमेन चौक पर हुए प्रदर्शन के बाद चीन छोड़कर अन्य देशों में रहने को मजबूर इन प्रदर्शनकारियों को लगता है कि हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और लोकतंत्र से विपरीत दिशा में जा रहा है।

अमेरिका में रहने वाले च्यो फेंसोउ वैसे तो हमेशा आशवादी रहते हैं लेकिन पांच साल पहले जब वह, थियानमेन चौक पर हुई घटना की 75वीं बरसी के दौरान 72 घंटे के ट्रांजिट वीजा पर चीन पहुंचे तो उनका दिल टूट गया।

उनका कहना है, थियानमेन चौक पर जो हुआ, आज कोई वैसा करने की सोच भी नहीं सकता। वह कहते हैं कि राष्ट्रपति शी चिनंिफग के शासनकाल में चीन दमन की उस स्थिति में पहुंच गया है जहां वह माओ के शासन के वक्त था। सुरक्षा बहुत कड़ी है, उसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग हो रहा है और बिना किसी चुनौती के अपने आलोचकों का मुंह बंद करने में पार्टी की क्षमता भी बढ़ गई है।

थियानमेन चौक पर प्रदर्शन की घटना के बाद चीन की ‘मोस्ट वांटेड’ सूची में पांचवे नंबर पर रहे च्यो कहते हैं, ‘‘जो हो रहा है, अगर आप उसे देख रहे हैं तो अब चीन के लिए आशावादी होने की कोई वजह नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालात लगातार खराब हो रहे हैं। जो बात एक साल पहले तक अकल्पनीय थी, वह आज वास्तविकता है।’’ बीजिंग की सड़कों पर 1989 के वसंत के दौरान आंदोलन करने वाले ये लोग अब उम्र के 50वें पड़ाव में पहुंच गए हैं और उनका मानना है कि बीती बातों को सिलसिलेवार याद रख पाना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा। 

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