चीनी नेताओं के साथ अहम वार्ता के लिए पेइचिंग पहुंचे जयशंकर

 
पेइचिंग 

आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़े हुए तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर 3 दिवसीय दौरे पर रविवार को पेइचिंग पहुंचे। दो दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी पेइचिंग पहुंचे थे। हालांकि, जयशंकर का दौरा पहले से तय था। 
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की यात्रा के दौरान इस साल चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे के इंतजाम को अंतिम रूप देने सहित कई मुद्दों पर बातचीत होगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। यह दौरा ऐसे वक्त भी हो रहा है, जब भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे 2 केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। इसे चीन ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार देते हुए आपत्ति जाहिर की थी, जिसे भारत ने खारिज किया था। 

संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले के बहुत पहले उनका दौरा तय हो चुका था। राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे। किसी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था। चीनी नेतृत्व के साथ उनकी वार्ता की शुरुआत सोमवार को होगी। आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की गई है कि किन नेताओं के साथ उनकी बैठक होगी। वह चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। बाद में दोनों मंत्री सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संपर्क पर उच्च स्तरीय तंत्र की दूसरी बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे। 

पहली बैठक पिछले साल नई दिल्ली में हुई थी। जयशंकर की यात्रा के दौरान चार सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया वांग के साथ उनकी वार्ता के दौरान राष्ट्रपति के इस साल दूसरी अनौपचारिक वार्ता के लिए दौरे के इंतजामों को अंतिम रूप देने के मुद्दे पर भी बातचीत होगी। वर्ष 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों गति दी थी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार करने की उम्मीद है।
 

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