चित्रकूट मर्डर केस: 20 लाख रुपये लेने के बाद भी जुड़वा भाइयों को किडनैपर्स ने क्यों मारा?

 
भोपाल/बांदा 

मध्य प्रदेश के चित्रकूट से अगवा हुए 5 साल के जुड़वा बच्चों की हत्या के बारे में जिसने भी सुना, उसका दिल रो पड़ा। बच्चों के शवों को जब परिजनों ने देखा तो वे फूट-फूटकर रोने लगे। बच्चे उसी यूनिफॉर्म में थे, जिसमें उन्होंने 12 फरवरी को तैयार करके स्कूल भेजा था। उनके हाथ-पैर जंजीर से बंधे हुए थे। बच्चों को खोने से बदहवास पिता बार-बार यही कह रहे हैं कि हत्यारों को फांसी पर लटका दिया जाए ताकि वे फिर किसी के बच्चों के साथ ऐसा न कर पाएं। मामले में दोनों राज्यों की पुलिस पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। बच्चों की तलाश के लिए यूपी और एमपी के 500 जवान लगाए गए थे, लेकिन फिर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।  
 
घटना को अंजाम देने वाले 6 किडनैपर्स को पुलिस ने शनिवार को पकड़ लिया था। आरोपियों में चित्रकूट निवासी पद्‌म शुक्ला, लकी सिंह तोमर, रोहित द्विवेदी, राजू द्विवेदी, रामकेश यादव, पिंटू उर्फ पिंटा यादव को गिरफ्तार किया गया। इनमें रामकेश यादव दोनों बच्चों को ट्यूइशन पढ़ाता था, जबकि पद्‌म बजरंग दल के संयोजक का भाई है जबकि बाकी आरोपी बांदा व हमीरपुर के रहने वाले हैं। पद्‌म और लकी इंजिनियरिंग छात्र हैं। पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने बाइक और कार का इस्तेमाल किया था। बाइक पर 'रामराज्य' लिखा था, जबकि कार पर बीजेपी का झंडा था। 
 
दो दिन एमपी में छिपाया, फिर ले गए यूपी 
रीवा जोन के आईजी चंचल शेखर ने बताया, 'किडनैपर्स ने पहले बच्चों के आरोपी लकी के चित्रकूट स्थित किराये के घर दो दिन के लिए रखा था। यह किराये का कमरा एक सुनसान जगह पर था और आरोपी खुद को बाहर से बंद रखते थे ताकि किसी को यहां छिपे होने का संदेह न हो। बाद में वे जुड़वा भाइयों को यूपी के बांदा के अटर्रा में एक दूसरे किराये के घर में ले गए थे, जहां उन्होंने हत्या से पहले तक बच्चों को छिपाए रखा था।' 

वारदात में इस्तेमाल बाइक
आईजी ने यह भी बताया कि गैंग के सदस्य काफी होशियार थे। फिरौती मांगने के लिए अपने सेलफोन का इस्तेमाल नहीं करते थे बल्कि अजनबियों और राहगीरों से अर्जेंट कॉल की बात कहकर फोन मांग थे और तब कॉल करते थे। आईजी ने बताया कि टेक सेवी इंजिनियरिंग स्टूडेंट स्पूफिंग ऐप के जरिए नंबर छिपाते थे। इस तरह वह साइबर पुलिस से एक कदम आगे की योजना बनाकर खुद को बचाने में कामयाब रहे थे। 

राहगीर बना आरोपियों को पकड़ने का मददगार
शेखर के अनुसार, जब एक राहगीर को इन मोटरसाइकल सवारों की बातचीत पर शक हुआ तो उसने मोटरसाइकिल की ही तस्वीर उतार ली। पुलिस ने जब फोन पर संपर्क किया तो संबंधित व्यक्ति ने आरोपियों की मोटरसाइकल की तस्वीर उपलब्ध करा दी। इस मोटरसाइकल का नंबर यू.पी. 90 एल. 5707 पाया गया। जब पुलिस ने तहकीकात की तो बाइक रोहित द्विवेदी की निकली। रोहित उत्तर प्रदेश जिले के बबेरु थाना क्षेत्र का निवासी निकला और पुलिस एक-एक कर छह आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही। हालांकि आरोपी तब तक फिरौती के 20 लाख रुपये लेने के बाद दोनों बच्चों को यमुना नदी में फेंक चुके थे। 

मासूमों की 'हां' बनी मौत की वजह 
पुलिस के अनुसार, आरोपियों को डर था कि बच्चों ने उन्हें पहचान लिया है और बच्चे राज खोल देंगे, जिससे उनकी गिरफ्तारी तय है। पुलिस ने बताया था कि 20 लाख रुपये मिलने के बाद आरोपी बच्चों को छोड़ने का मन बना रहे थे लेकिन छोड़ने से पहले उन्होंने बच्चों से सवाल किया कि पुलिस पूछेगी तो क्या वह उन्हें पहचान लेंगे। तो इस पर बच्चों ने मासूमियत से हां में जवाब दे दिया और इसलिए आरोपियों ने दोनों बच्चों के पीठ पर पत्थर बांधने के साथ हाथ-पैर भी लोहे की जंजीरों से बांध दिए और नदी में फेंक दिया। आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि उन्होंने विडियो गेम के जरिए बच्चों को कब्जे में रखा और बच्चे उनसे फ्रेंडली भी हो गए थे। 
 
बता दें कि यूपी के चित्रकूट धाम (कर्वी) निवासी तेल कारोबारी बृजेश रावत के 5 साल के जुड़वां बच्चों का 12 फरवरी को अपहरण हुआ था। बाइक सवार दो नकाबपोश बदमाश मध्य प्रदेश स्थित सद्‌गुरु सेवा ट्रस्ट के स्कूल से दोनों को असलहे के दम पर उठा ले गए थे। आरोपियों के पास से फिरौती के 17.67 लाख रुपये, असलहे, बाइक और बोलेरो मिली है। 
 
 

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