चम्पा के बाद लक्ष्मी ने छोड़ा साथ, अब ज़ू में अकेला रहेगा मोती
इंदौर
सिंहस्थ के वक्त हथिनी के साथ उज्जैन के रस्ते इंदौर (Indore) आ रहे एक महंत को देख फॉरेस्ट और संबंधित एनजीओ ने हथिनी लक्ष्मी (Female Elephant Laxmi) को महंत के कब्जे से मुक्त कराया था. इसके बाद हथिनी को इंदौर चिड़ियाघर के सुपुर्द कर दिया था. जबकि महंत ने हथिनी को अपने कब्जे में लेने के लिए न्यायालय तक की शरण लेने के अलावा रीगल तिराहे पर धरना भी दिया, लेकिन उसकी जीत नहीं हुई. अंतत: हथिनी इंदौर चिड़िया घर प्रबंधन की देखरेख में ही थी. हालांकि चिड़ियाघर में लक्ष्मी की मौत के बाद अब सिर्फ एक गजराज मोती (Moti) ही बचा है जोकि इन दिनों बेहद गुस्से में है.
गजराज मोती की गुस्से की वजह है लक्ष्मी का चले जाना है. मोती (नर हाथी) के साथ पहले चम्पा (मादा हाथी) थी, लेकिन उसकी भी काफी समय पहले मौत हो गई. इस बाद प्रबंधन ने लक्ष्मी को मोती के साथ रखा गया, लेकिन कुछ दिनों पहले मोती ने ही लक्ष्मी पर हमला कर दिया था, जिससे वह घायल हो गई थी. हालांकि चिकित्सकों की काफी मेहनत और इलाज के बाद भी लक्ष्मी को नहीं बचाया जा सका. हाथी के हमले के बाद से ही वह गंभीर रूप घायल थी और इलाज के दौरान उसकी किडनी प्रभावित हो गई थी, जोकि अंत तक ठीक नहीं हुई. लक्ष्मी (हथिनी) की मौत के बाद चिड़िया घर प्रबंधन ने उसका पोस्टमार्टम करवाया और चिड़ियाघर परिसर में ही दफना दिया गया है. हालांकि हथिनी से संबंधित फिलहाल मामला न्यायालय में विचाराधीन ही था. अब चिड़ियाघर प्रबंधन न्यायालय में हथिनी की मौत की सूचना देगा और पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी जमा करेगा.
चिड़ियाघर प्रबंधन उत्तम यादव के मुताबिक मोती (नर हाथी) के हमले से ही लक्ष्मी (मादा हाथी) घायल हो गई थी. उसका पिछले काफी दिनों से उपचार जारी था, लेकिन उसकी सेहत में सुधार नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई. हालांकि लक्ष्मी के साथ छोड़ने से इन दिनों मोती गुस्से में है.