घाटी में लौटा सकून, युवाओं ने खेला क्रिकेट

श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद लोगों को आ रही असुविधाओं को लेकर प्रशासन द्वारा शुक्रवार को शिकायतों की खुली सुनवाई की जाएगी। जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से पहली बार राज्यपाल सत्यपाल मलिक के अडवाइजर केके शर्मा लोगों के साथ बैठक कर उनकी बात सुनेंगे। घाटी में प्रतिबंधों के ढील के बाद अब हालात सामान्य होने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के त्राल से युवाओं की क्रिकेट खेलने की तस्वीरें भी सामने आई हैं।
हालांकि पिछले काफी दिनों से घाटी में मोबाइल सेवा बैन होने से लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। फिलहाल लैंडलाइन सेवा के जरिए रिश्तेदारों से बात करने की सुविधा दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के सूचना निदेशालय ने प्रेस रिलीज जारी कर रहा कि जम्मू-कश्मीर गवर्नर सत्यपाल मलिक के अडवाइजर केके शर्मा शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद लोगों से मुलाकात करेंगे। श्रीनगर के सोंवर के चर्च लेन स्थित राज्यपाल के शिकायत सेल पर यह मीटिंग सुबह 10 बजे से 12 बजे तक चलेगी।

क्रिकेट को लेकर युवाओं में क्रेज
बुधवार को जारी रिलीज में कहा गया, 'इच्छुक व्यक्तियों और शिष्टमंडलों से अनुरोध किया जाता है कि वे अपनी शिकायत के निवारण के लिए राज्यपाल के शिकायत सेल, चर्च लेन, सोंवर के कार्यालय में खुद को रजिस्टर करें।' दूसरी ओर, घाटी में प्रतिबंधों के ढील के बाद अब हालात सामान्य होने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर के त्राल से युवाओं की क्रिकेट खेलने की तस्वीरें सामने आई हैं। बता दें कि घाटी में क्रिकेट को लेकर युवाओं में जबरदस्त क्रेज रहता है।

त्राल के ही रहने वाले एक शख्स ने कहा, 'यहां हमारे बच्चों के खेलने के लिए जगह होनी चाहिए, स्कूलों में भी सुधार होना चाहिए, गांव में खेती-किसानों भी होनी चाहिए और आंगनबाड़ी केंद्रों में खाने की क्वॉलिटी में भी सुधार होना चाहिए। मुझे सरकार पर पूरा भरोसा है, नरेंद्र मोदी अच्छे इंसान हैं, हमारे लिए काम करेंगे।'

प्रतिबंधों में छूट जारी, स्कूलों से छात्र नदारद
कश्मीर में प्रशासन ने बुधवार को दिन के समय प्रतिबंधों में ढिलाई जारी रखी लेकिन माध्यमिक स्कूल खोले जाने के प्रशासनिक आदेश के बाद भी छात्र नदारद रहे। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने शहर के कई हिस्सों सहित कश्मीर के अन्य हिस्सों में प्रतिबंधों में छूट दी गई है। उन्होंने बताया कि शहर के पॉश इलाके और सिविल लाइन क्षेत्रों से अवरोधक हटाए गए हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बल अब भी तैनात हैं। हालांकि शहर के कई हिस्सों खास तौर पर डाउनटाउन के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध जारी है।

बच्चे को स्कूल भेजने से क्यों कतरा रहे पैरंट्स?
अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर निजी स्कूल खाली पड़े हैं क्योंकि यहां से छात्र अब भी नदारद ही हैं। हालांकि कर्मचारी कुछ संस्थानों में आ रहे हैं। उनका कहना है कि मौजूदा हालात की वजह से अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से बच रहे हैं। सरकार ने पिछले हफ्ते प्राइमरी स्कूलों को सोमवार से खोलने का आदेश दिया था लेकिन स्कूल में छात्र नहीं आए। बाद में अधिकारियों ने माध्यमिक विद्यालयों को भी खोलने का आदेश दिया लेकिन स्कूलों के सही से संचालन के सरकार के तमाम दावे के बाद भी बच्चे स्कूल नहीं आए।

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