घर पहुंची तो मिला फेडरेशन का ऑफर, ज्योति ने लॉकडाउन में चलाई 1200 किलोमीटर साइकिल
दरभंगा
लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठा कर गुरुग्राम से दरभंगा तक का सफर सात दिन में तय करने वाली ज्योति इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई हैं. इसी बीच ज्योति के हौसले को देखते हुए अब ऑल इंडिया साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को एक बड़ा ऑफर पेश किया है.
अपने पिता को साइकिल पर बिठा कर एनसीआर से दरभंगा पहुंची ज्योति को एक बड़ा ऑफर मिला है. साइकिलिंग फेडरेशन के लोगों ने ज्योति से संपर्क किया है. ज्योति को टेस्ट के लिये निमंत्रण दिया गया है. जानकारी के मुताबिक ज्योति ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वो जल्द ही दिल्ली जाएंगी. इस बात की खबर जब गांव वालों को लगी तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई.
लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बिठा कर गुरुग्राम से दरभंगा तक का सफर सात दिन में तय करने वाली ज्योति इन दिनों मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई हैं. इसके साथ ही खबर सामने आने के बाद बेहद गरीबी में जीवनयापन करने वाली ज्योति के परिवार को अब अलग-अलग जगहों से आर्थिक मदद भी मिल रही है. इसी बीच ज्योति के हौसले को देखते हुए अब ऑल इंडिया साइकिलिंग फेडरेशन ने ज्योति को एक बड़ा ऑफर पेश किया है.
फेडरेशन की तरफ से इस मौके पर कहा गया है कि ज्योति ने अपनी ताकत और क्षमता का परिचय देकर इतनी दूरी साइकिल से तय की है. अगर ज्योति उनके मानक पर खड़ी उतरती है तो ऑल इंडिया साइकिलिंग एकेडमी ज्योति की आगे की जिम्मेदारी उठाएगी. एकेडमी ज्योति को साइकिलिंग रेसलर के रूप में ट्रेनिंग देकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में मदद करेगी.
न ऑफ इंडिया के चेयरमेन ओंकार सिंह ने ज्योति से फोन पर संपर्क कर उसकी इच्छा भी पूछी है. ज्योति ने भी फेडरेशन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. जिसके बाद ज्योति ने जल्द ही टेस्ट देने दिल्ली जाने की बात भी कही है. ज्योति के इस कारनामे के बाद पूरे गांव में खुशी देखी जा रही है. लोग गली-मोहल्ले में सिर्फ ज्योति की ही चर्चा करते देखे और सुने जा रहे हैं. कोई अखबार में ज्योति की तस्वीर देख रहा है और खबर पढ़ रहा है तो कोई मोबाइल पर मीडिया की खबरों को देख खुश हो रहा है. गांव वाले भी ज्योति के हिम्मत की खूब प्रशंसा कर रहे हैं.
ज्योति के पिता ने ज्योति के हौसले की तारीफ करते हुए कहा कि उसने कभी ऐसा सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन ऐसा भी आएगा. अब जब ज्योति ने अपनी साहसिक हिम्मत का परिचय दिया है तो अब उसके हिम्मत को हम लोग पंख लगाने का काम करेंगे. ज्योति द्वारा साइकिलिंग टेस्ट देने के लिए उन्होंने भी हामी भरते हुए कहा कि ज्योति जरूर कामयाब होगी उन्हें पूरा विश्वास है. ज्योति के पिता मोहन पासवान ने कहा कि उन्हें भी पहले बेटा-बेटी में थोड़ा ना थोड़ा अंतर लगता था लेकिन अब उन्हें भी लगता है कि बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं है बल्कि बेटे से एक कदम आगे निकल कर बेटी वह सब कर सकती है जो बेटा नहीं कर सकता है.
बता दें कि 15 साल की ज्योति के पिता मोहन पासवान गुरुग्राम में किराए का ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पेट भरता था. लेकिन कुछ महीने पहले मोहन पासवान का एक्सीडेंट हो गया जिसमें उनका पांव बुरी तरह जख्मी हो गया था. उसके बाद ज्योति अपने पिता की सेवा के लिए दरभंगा से गुरुग्राम गयी थी. लेकिन इसी बीच कोराना संकट के कारण देश भर में लॉकडाउन लग गया. ज्योति और उसके पिता ने कुछ दिनों तक तो किसी तरह गुजारा किया लेकिन जब आमदनी बंद हो गयी और खाने-पीने के लाले पड़ने लगे तो ज्योति ने हिम्मत दिखाई और अपने पिता को साइकिल पर बिठा कर गुरुग्राम से दरभंगा अपने घर सिरुहिलिया के लिए निकल पड़ी.
हालांकि इस काम के लिए ज्योति के पिता बिलकुल तैयार नहीं थे. लेकिन भूख की बेबसी और बेटी की जिद के सामने पिता को झुकना पड़ा. जिसके बाद दोनों एक अनजान यात्रा पर जिंदगी बचाने के लिए निकल गए. तकरीबन 1200 किलोमीटर की यात्रा ज्योति ने सात दिन में तय की. हालांकि यात्रा के दौरान ज्योति को रास्ते में पुलिस के साथ-साथ आम लोगों ने भोजन-पानी देकर मदद भी की.
ज्योति और उसके पिता ने ईमानदारी से यह भी माना कि उसने तक़रीबन 200 से 300 किलोमीटर की दूरी ट्रक से भी तय की. लेकिन 1200 किलोमीटर की दूरी में अगर ज्योति ने 800 से 1000 किलोमीटर तक की दूरी भी साइकिल से की तो यह आसान काम नहीं है. यही वजह है कि हर कोई ज्योति के बुलंद हौसलों की तारीफ करते नहीं थक रहा है.