घरों में चौका बर्तन करके मां ने बच्चों को बनाया स्कूल टॉपर 

बिहार 
एक सपना देखा और आगे निकल पड़ी। पति से मार खायी, रिश्तेदारों से ताने सुने, लेकिन धुन थी कि बच्चों को पढ़ाना है। उन्हें संस्कार देना है। खुद संघर्ष कर बच्चों को बेहतर जिंदगी देनी है। मन में जुनून और जोश लिये वीणा देवी आज अपने संघर्ष की सफलता की पहली सीढ़ी पर पहुंच चुकी है। वीणा देवी का संघर्ष था कि आज बेटा सचिन जीडी पाटलिपुत्रा हाई स्कूल में मैट्रिक का सेकेंड टॉपर बना तो वहीं बेटी सपना बालिका उच्च विद्यालय गुरुद्वारा गली में सेकंड टॉपर आयी हैं। दोनों बच्चों की सफलता सुन मां वीणा देवी अब फूले नहीं समा रही हैं। 

पिछले 20 सालों से दूसरों के घर में चौका बर्तन का काम कर रहीं वीणा देवी ने बताया कि तीन बच्चे हैं। पति कुछ नहीं कमाता है। बच्चों को पढ़ाना चाहती थी। लेकिन पति कहता था बच्चे से मजदूरी करवाओ तो घर में पैसे आयेंगे। लेकिन मैने नहीं सुनी। इसके लिए पति मारता पीटता था। फिर मैने घरों में चौका बर्तन करना शुरू किया। बच्चों की जरूरतें बढ़ती गयी और उसी के अनुसार मेरा काम बढ़ता गया। अभी मै छह सात घरों में चौका बर्तन कर बच्चों को पढ़ा रही हूं। पढ़ाई के लिए बच्चों को कोई कमी नहीं रहने देना चाहती हूं।
 
मां के आंसुओं ने सिखाया स्कूल की पढ़ाई के बाद घर में हमेशा पढ़ते थे। क्योंकि मेरी मां हमेशा हम लोगों को पढ़ते हुए देखना चाहती थी। अगर हम कभी पढ़ते नहीं दिखते तो वो रो पड़ती थी। इसका फायदा यह हुआ कि सेल्फ स्टडी खूब की। सचिन यह बता कर मां के गले लग गया कि आज उसी के कारण मुझे इतने अंक मिले है। ज्ञात हो कि सचिन को मैट्रिक में पांच सौ अंक की परीक्षा में 431 अंक मिले है। गणित में 93, विज्ञान में 88, हिंदी में 89, संस्कृत में 79 और सामाजिक विज्ञान में 82 अंक आए हैं। वहीं बेटी सपना को 393 अंक मिले है।
 
तीन बच्चे, तीनों टॉपर वीणा देवी का बड़ा बेटा राकेश 2013 में अपने स्कूल का टॉपर सूची में रहा और अभी पटना एनआईटी में मैकैनिकल इंजीनियरिंग पढ़ रहा है। वीणा देवी बताती हैं कि मेरे तीनों बच्चों ने मुझे वो खुशी दी है जो मेरे लिए किसी सपना सरीखा है।

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