ग्रोथ के लिए फिस्कल डेफिसिट टारगेट में देनी पड़ेगी ढील

 नई दिल्ली 
नई सरकार के सामने देश की ग्रोथ तेज करने की चुनौती है। इसके लिए फिस्कल डेफिसिट (सरकार की आमदनी से अधिक खर्च) लक्ष्य में ढील देनी पड़ सकती है। नई कल्याणकारी योजनाओं के लिए उसे रणनीतिक विनिवेश के जरिये अतिरिक्त फंड भी जुटाना पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने बताया, 'अगर इकनॉमिक ग्रोथ तेज करनी है तो फिस्कल रोडमैप पर पुनर्विचार करना होगा। सरकार का आक्रामक ढंग से विनिवेश करना पड़ेगा।'  
 
अभी के फिस्कल रोडमैप के हिसाब से वित्त वर्ष 2020-21 तक फिस्कल डेफिसिट को जीडीपी के 3 पर्सेंट तक लाया जाना है। दिसंबर 2018 तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.6 पर्सेंट के साथ 6 साल के निचले स्तर पर आ गई थी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे में आर्थिक विकास दर तेज करने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर एन आर भानुमति ने बताया, 'हमें डिमांड बढ़ाने के लिए राहत पैकेज की जरूरत है। इसलिए फिस्कल रोडमैप पर पुनर्विचार करना चाहिए।' 

जोशी ने यह भी बताया कि 3 पर्सेंट का फिस्कल रोडमैप सिर्फ 2007-08 में हासिल हुआ था, जब देश की विकास दर काफी तेज थी। एचडीएफसी बैंक के चीफ इकनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने कहा, 'सरकार को साहस दिखाना होगा। उसे पहले दिन से काम में जुटना होगा। भारत ईटीएफ जैसे प्रॉडक्ट का दोहन हो चुका है। उसे वास्तविक अर्थों में निजीकरण करना होगा। उसे पब्लिक सेक्टर की कई कंपनियों को बेचना होगा।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि 3 पर्सेंट का फिस्कल डेफिसिट टारगेट विदेशी निवेशकों के लिए काफी अहमियत रखता है। 

फिच ग्रुप की रिसर्च यूनिट फिच सॉल्यूशंस ने एक रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2020 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट 0.2 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 3.6 पर्सेंट हो सकता है। रिपोर्ट में लिखा गया है, 'हमें लगता है कि सरकार के खर्च बढ़ाने से वित्त वर्ष 2021 तक 3 पर्सेंट का फिस्कल डेफिसिट टारगेट मिस हो सकता है।' बरुआ का कहना है कि सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकना और जीएसटी कलेक्शन बढ़ाना दो बड़े चैलेंज हैं। वित्त वर्ष 2019 में जीएसटी कलेक्शन लक्ष्य से 40 हजार करोड़ रुपये कम रह सकता है। 

बरुआ ने कहा कि सरकार ने जो सोशल सेक्टर रिफॉर्म्स शुरू किए हैं, वे भी चुनौती खड़ी करेंगे। उन्होंने बताया, 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, आयुष्मान भारत और पब्लिक सेक्टर बैंकों की फंडिंग से सरकारी खर्च में बढ़ोतरी होगी।' सरकार ने पीएम किसान निधि के लिए 75 हजार करोड़ का बजट रखा है, लेकिन वास्तविक खर्च इससे अधिक हो सकता है। पिछले वित्त वर्ष में 30 हजार करोड़ की एलपीजी और केरोसिन सब्सिडी का भुगतान सरकार ने वित्त वर्ष 2020 में ट्रांसफर कर दिया था। उसे इस साल उसका भुगतान करना होगा। 

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2019 तक सरकार ने तीन बड़े डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम्स के तहत 71,500 करोड़ रुपये दिए थे। इनमें मनरेगा भी शामिल थी। 
 

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