ग्राहकों से पहले जैसा रिश्ता नहीं रख रहे सरकारी बैंक: सीतारमण

नई दिल्ली

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी बैंकों के कर्ज वितरण में ज्यादा बढ़त न होने के मामले में इन बैंकों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि अब सार्वजनिक बैंकों का ग्राहकों से पहले जैसा रिश्ता नहीं रह गया है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की शाखाओं में ग्राहकों के साथ खराब संबंधों के कारण कर्ज को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है.

क्या कहा वित्त मंत्री ने

इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बुधवार को वित्तमंत्री ने कहा, 'पीएसयू बैंकों में शाखा स्तर पर ग्राहकों के साथ संबंध पहले जैसा नहीं है.' कार्यक्रम के दौरान बैंकों के कामकाज पर ईज 3.0 रिपोर्ट जारी की गई. ईज 3.0 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एक विजन डॉक्यूमेंट है जिसमें बेहतर बैंकिंग सेवा का जिक्र किया गया है.'

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, वित्त मंत्री ने कहा कि ग्राहक बैंक की शाखाओं के कर्मचारियों के साथ व्यक्तिगत संपर्क की अपेक्षा करते हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों को शाखा स्तर पर बैंक की भावना के साथ काम करना चाहिए जिसका मकसद ग्राहकों के साथ सीधा संपर्क करना है.

कर्मचारियों को योजनाएं पता नहीं!

उन्होंने कहा कि बैंकों के कई कर्मचारियों को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है. वित्त मंत्री ने कहा कि आईबीए को सरकारी योजनाओं के संबंध में जानकारी देने के मकसद से बैंकों की शाखाओं के लिए कार्य करना चाहिए.

गौरतलब है कि 20 जनवरी को खत्म पखवाड़े में बैंकों के लोन में बढ़त महज 7.10 फीसदी रही और यह 100.44 लाख करोड़ रुपये का रहा. जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह करीब 9 फीसदी था. इसके पहले तेजी वाले दौर की बात करें तो नवंबर 2018 में बैंक कर्ज वितरण 15 फीसदी के आसपास पहुंच गया था.

क्यों घट रहे कर्ज

एक रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा कर्ज की वजह से कुछ बढ़त दिख रही है, लेकिन कंज्यूमर लोन के मामले में बैंक कुछ सतर्क रवैया अपना रहे हैं. कुछ ग्राहक ड्यू डेट तक कर्ज नहीं चुका पा रहे, इसलिए बैंक खासे सतर्क हैं. इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, हाउसिंग एवं ऑटो सहित सभी सेगमेंट में खपत में गिरावट दिख रही है, इसकी वजह से खुदरा कर्ज प्रवाह में और गिरावट देखी जा सकती है. यहां तक कि क्रेडिट कार्ड, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन जैसे अनसेक्योर्ड लोन के ग्रोथ में भी गिरावट देखी जा रही है.

गौरतलब कि पिछले साल इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को कर्ज देने वाली कंपनी IL&FS के बर्बाद हो जाने से बैंकिंग सेक्टर में नकदी की काफी तंगी हो गई है. कई बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने कर्ज प्रवाह सुस्त कर दिया है, तो कुछ ने तो कर्ज वितरण पूरी तरह से रोक दिया है. पिछले साल के अंत तक ऑटो लोन में 30 फीसदी और होम लोन में 40 फीसदी हिस्सा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *