ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत व्यवधान की शिकायतों को शहरी क्षेत्रों की तरह हल करें
भोपाल
अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आई.सी.पी.केशरी ने कहा है कि आँधी-तूफान जैसी प्राकृतिक आपदा को छोड़कर अन्य किसी भी परिस्थिति में विद्युत व्यवधान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आँधी-तूफान की दशा में कितनी जल्दी विद्युत आपूर्ति बहाल की जाती है, वही मैदानी अधिकारियों का परफॉर्मेंस माना जाएगा। एम.पी. पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी की भी विश्वसनीय सप्लाई में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए अधिकारियों को भी सजग रहने की जरूरत है। श्री केशरी ने कहा कि प्लान्ड अथवा अनप्लान्ड शटडाउन की सूचना मोबाइल एप में डालें ताकि आम जनता को भी शटडाउन की जानकारी मिल सके। श्री केशरी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कपंनी के मुख्यालय में भोपाल रीजन की विद्युत आपूर्ति की समीक्षा कर रहे थे।
श्री केशरी ने कहा कि पात्रता वाले खराब/जले ट्रांसफार्मर तीन दिन के बजाय दो दिन में बदलने के प्रयास किए जाएं। उन्होंने ट्रांसफार्मर रिप्लेसमेंट टीम के कामकाज की सराहना की। श्री केशरी ने कहा कि बिलिंग को छोड़कर विद्युत व्यवस्था संबंधी दर्ज 70 प्रतिशत शिकायतें आधा घंटे से भी कम समय में हल हो जाना चाहिए। ग्रामीण इलाकों में वितरण केन्द्रों में दर्ज शिकायतें और जूनियर इंजीनियर से लेकर उप महाप्रबंधक स्तर तक विद्युत व्यवधान की शिकायतों को हल करने में लगने वाले समय की हर 15 दिन में समीक्षा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉल सेन्टर में मिलने वाली बिलिंग संबंधी शिकायतें 3 दिन में हल करने के इंतजाम होना चाहिए।
अपर मुख्य सचिव ने कंपनी के उच्च दाब उपभोक्ताओं के लिये ऑनलाइन पोर्टल ‘‘संकल्प‘‘ की तारीफ़ की। एक उच्च दाब उपभोक्ता द्वारा दिए गए फीड बेक के उदाहरण से बताया कि संकल्प में आवेदन करने के एक दिन के अंदर स्वीकृत हो गया। श्री केशरी ने लोकसभा चुनाव के दौरान विद्युत आपूर्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया के पालन और ग्रामीण क्षेत्र में मीटर की स्थापना, मीटर रीडिंग, बिलिंग के बारे में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि औसत बिलिंग को वर्ष 2020 तक समाप्त कर दिया जाएगा।
प्रबंध संचालक डॉ. संजय गोयल ने बताया कि विद्युत व्यवधान में 11 के.व्ही. के फीडरों को चिन्हित कर उन्हें छोटा करने का प्लान बनाया गया है। बढ़ते लोड सेंटर को चिन्हित करते हुए नए 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों की स्थापना की प्लानिंग कर ली गई है। डॉ. गोयल ने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में यदि उपभोक्ता मोबाइल से एसएमएस पर बिजली बिल की जानकारी लेकर बिल जमा करने आता है, तो मोबाइल एसएमएस को बिल मानते हुए उसमें अंकित राशि को कैश काउंटर में जमा कराया जाए। उन्होंने कहा कि कंपनी के कार्मिकों को परंपरागत कार्य-शैली से आगे बढ़कर रेल्वे एवं एयरपोर्ट की तर्ज पर मोबाइल एसएमएस की स्वीकार्यता को बढ़ाना चाहिए।
इस अवसर पर आईपीडीएस, ग्राम ज्योति, इंदिरा किसान ज्योति, इंदिरा गृह ज्योति तथा अन्य योजनाओं की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश दिए गए।