गौरी लंकेश मर्डर की जांच करने वाली SIT ने शुरू की कलबुर्गी हत्याकांड की जांच

नई दिल्ली
गौरी लंकेश की हत्या के मामले की जांच करने वाली विशेष जांच दल (SIT) ने कलबुर्गी हत्याकांड की भी जांच शुरू कर दी है. सूत्र बताते हैं कि गौरी लंकेश और एमएम कलबुर्गी की हत्या के लिए एक ही हथियार का इस्तेमाल किया गया था. पुलिस महेश उर्फ शिवा की तलाश में जुटी है जिसमें बारे में माना जाता है कि वह इन दोनों ही हत्याओं की साजिश रचने के पीछे मास्टरमाइंड है.

सूत्र बताते हैं कि पुलिस कलबुर्गी हत्याकांड में एक और आरोपी की तलाश में जुटी है, जो इन हत्या के वक्त वहां मौजूद था. महेश के बारे में माना जा रहा है कि वह महाराष्ट्र में छिपा हो सकता है. उस पर बम धमाकों समेत कई मामलों में शामिल होने का आरोप है और वह मोस्ट वांटेड है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की खुफिया एजेंसी के अलावा कर्नाटक और मुंबई एटीएस भी उसे तलाश रही है.

मुंबई एटीएस ने कुछ महीने पहले 15 हथियार पकड़े जिसमें एक हथियार का इस्तेमाल गौरी लंकेश और बेलगाम में कलबुर्गी की हत्या करने के लिए हमलावरों ने किया था. महेश सनातन संस्था से संबंधित है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को बड़ा फैसला लेते हुए एमएम कलबुर्गी हत्याकांड की जांच कर्नाटक के विशेष जांच दल (SIT) को जांच सौंपने का फैसला सुनाया था. कर्नाटक एसआईटी पहले से पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले की जांच कर रही थी और अब वह कलबुर्गी हत्याकांड की भी जांच कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा कि केस जांच की निगरानी कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ पीठ करेगी.

कलबुर्गी की विधवा उमा मल्लीनाथ देवी ने उनकी हत्या की जांच की मांग करते हुए 2017 में शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर, 2018 को कर्नाटक पुलिस को कलबुर्गी की हत्या के खुलासे के लिए ठोस कदम नहीं उठाने पर फटकार लगाई थी. तब कर्नाटक पुलिस की जांच पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'आपने अब तक इस मामले में क्या किया है. आप सिर्फ मूर्ख बना रहे हैं.'

एमएम कलबुर्गी की हत्या धारवाड़ में 30 अगस्त, 2015 को उनके घर के बाहर कर दी गई थी. जबकि पत्रकार गौरी लंकेश (55) की 2017 में 5 सितंबर को उनके आवास के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

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