गेहूं की कटनी पर लॉकडाउन का असर: मौसम की मार के बाद कोरोना का डंक झेल रहे बिहार के किसान

पटना                                                                                                                                                                           
खेती में नुकसान राज्य के किसानों की नियति बन गई है। खरीफ में प्रकृति ने परेशान किया तो अब रबी में प्रकृति के साथ परिस्थिति भी दगा दे रही है। मौसम की मार पड़ी तो सरकार से सहायता भी मिली लेकिन अब नई परेशानी उन्हें खुद ही झेलनी होगी। कोराना को लेकर लॉकडाउन का असर कटनी पर दिखने लगा है। 

राज्य के अधिसंख्य इलाके में गेहूं की फसल तैयार हो गई है। सरकार ने किसानों को कटनी करने के लिए रीपर कम बाइंडर दिया है। यह नई मशीन पराली प्रबंधन में सहायक है। लेकिन इस मशीन में उपयोग होने वाला धागा ही लॉकडाउन के बाद नहीं मिल रहा है। हारवेस्टर से कटनी के लिए चालक नहीं आ रहे हैं। मजदूर तो खेत मालिकों से परमिट मांगते हैं और परमिट मिल नहीं रही।

कलेजा फट रहा किसानों का 
रबी की खेती शुरू हुई तो फरवरी में ही वर्षा हो गई। 34 हजार हेक्टेयर में लगी फसल नष्ट हो गई। मार्च में फिर आंधी आई और तेज वर्षा हो गई। इस बार प्रकृति ने तीन लाख हेक्टेयर में लगी फसल लील ली। उस नुकसान की बहुत हद तक भरपाई सरकार ने कर दी। किसानों को क्षतिपूर्ति देने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन खड़ी फसल घर में नहीं पहुंचता देख किसानों का कलेजा फट रहा है। 

क्या कहते हैं वैज्ञानिक 
कृषि वैज्ञानिक डॉ. शंभू प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि गेहूं की फसल काटने का समय हो गया है। जहां देर से बुआई हुई है वहां तो अभी एक सप्ताह का समय है। लेकिन अगात वेरायटी की फसल के लिए समय बीत रहा है। अगर एक सप्ताह तक यही स्थिति बनी रही और कटनी नहीं हुई तो दस से बीस प्रतिशत दाने खेतों में ही झड़ जाएंगे।

रीपर कम बाइंडर के लिए एक लाख हेक्टेयर में कटनी का धागा मंगाया गया था। मुजफ्फरपुर और पटना के साथ कई अन्य जिलों में भेजा गया है। कुछ कमी की खबर आ रही है। सरकार ने पंजाब से बात की है। जल्द पंजाब से धागा पहुंच जाएगा। कटनी के लिए लॉकडाउन के कारण कोई रोक नहीं है। 
– डॉ. प्रेम कुमार, मंत्री, कृषि विभाग 

तीन गाड़ियों से आज पहुंचेगा मशीन का धागा
कृषि मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के पहले एक लाख हेक्टेयर में फसल काटने के लिए रीपर कम बाइंडर का धागा था। मुजफ्फरपुर स्थित सीएनएफ से अधिक मांग होने लगी तो पंजाब की कंपनी से बात हुई। तब तक वहां कफ्र्यू लग चुका था। फिर वहां की सरकार से बात हुई तो परमिट मिला और तीन गाड़ी यानी साठ हजार हेक्टेयर में फसल काटने भर धागा आ रहा है। सोमवार को यह पहुंच जाएगा।

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