गुजरात में हेलमेट के लिए समयसीमा बढ़ी, पीयूसी नहीं होने पर लगेगा नया जुर्माना

नई दिल्ली
गुजरात सरकार ने राज्य की जनता को थोड़ी राहत देते हुए बुधवार को कहा कि हेलमेट पहनने और प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र से संबंधित यातायात नियमों के उल्लंघन पर नये जुर्माने 15 अक्टूबर से प्रभाव में आएंगे। इससे पहले प्रदेश की भाजपा सरकार ने हाल ही में संसद द्वारा पारित मोटर वाहन अधिनियम के भारी-भरकम जुर्माने वाले प्रावधानों में छूट देने की घोषणा की थी और उसके बाद सोमवार को यातायात उल्लंघन के लिए कम जुर्माने के प्रावधान प्रभाव में आए।

संशोधित मोटर वाहन कानून के तहत जहां बिना हेलमेट के दुपहिया वाहन चलाने पर 1000 रुपये का जुर्माना है, वहीं गुजरात में इसके लिए प्रस्तावित जुर्माना 500 रुपये है। अभी तक हेलमेट नहीं होने पर यहां 100 रुपये जुर्माना वसूला जा रहा था। पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं होने पर राज्य सरकार ने 500 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव रखा है। नये मोटर वाहन कानून में भी यह राशि समान है। फिलहाल गुजरात में यातायात पुलिस वाहन चालक के पास पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं होने पर 100 रुपये वसूलती है।

राज्य सरकार के मंत्रिमंडल ने बुधवार को फैसला किया कि इन दोनों ही तरह के यातायात उल्लंघनों पर जुर्माने की राशि 15 अक्टूबर तक 100 रुपये ही रहेगी। प्रदेश के परिवहन मंत्री आर सी फलदू ने कैबिनेट की बैठक के बाद गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा, ''हमें पता चला है कि बाजार में पर्याप्त संख्या में हेलमेट नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है। इसलिए राज्य सरकार ने नये जुर्माने को लागू करने के लिए समयसीमा 15 अक्टूबर तक बढ़ाने का निर्णय किया है।

उन्होंने कहा, ''यह भी सच है कि पीयूसी प्रमाणपत्रों के लिए लोग लंबी कतारों में खड़े हैं। इसलिए इस मुद्दे पर कई वर्गों की मांग के बाद हमने इस संबंध में समयसीमा को भी 15 अक्टूबर तक बढ़ाने का फैसला किया है। मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार अगले 10 दिन में राज्यभर में 900 नये पीयूसी केंद्र खोलने के लिए परमिट देगी जिससे मौजूदा केंद्रों पर भार कम होगा। उन्होंने कहा, ''कैबिनेट बैठक में लिये गये एक और महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार मेरा विभाग एक सर्कुलर जारी करके सभी दोपहिया वाहन विक्रेताओं द्वारा नये वाहन खरीदने वालों को बिना किसी अतिरिक्त कीमत के हेलमेट देने का नियम अनिवार्य करने जा रहा है।

फलदू ने सोशल मीडिया पर चल रहीं इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया कि मुख्यमंत्री विजय रूपानी के एक सरकारी वाहन का बीमा 2015 में ही खत्म हो गया था और 'वीआईपी होने की वजह से अब तक तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। परिवहन मंत्री ने इस तरह की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि वाहन का बीमा दिसंबर तक वैध है।

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