गाजियाबाद के शेयरिंग ऑटो में डेंटिस्ट से लूटपाट, प्रेगनेंट बताकर खुद को रेप से बचाया

 
गाजियाबाद 

काला पत्थर से शेयरिंग ऑटो में सवार हुई महिला डेंटिस्ट के साथ हुई लूट की वारदात के बाद पुलिस विभाग के महिला सुरक्षा को लेकर किए गए दावों पर सवाल खड़े हो गए हैं। महिला डेंटिस्ट से मारपीट और लूटपाट के बाद बदमाशों से उन्हें सुनसान जगह पर ऑटो से उतार दिया था। किसी तरह घर पहुंची महिला ने खौफ के साए में गुजरे उन दो घंटो की दास्तान बताई।  
 
पीड़िता से बताया कि अगर उसने हिम्मत और समझदारी से काम नहीं लिया होता तो उसके साथ भयावह वारदात हो सकती थी। उन्होंने बताया कि बदमाशों ने उनका धर्म पूछने के बाद उन्हें ऑटो से उतारा था। पीड़िता ने पुलिस की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर रात के 9 बजे भी शेयरिंग ऑटो में बैठना खतरनाक है तो उन्हें घर लौटने के लिए कौन सा साधन लेना चाहिए। 

मैंने विरोध किया तो की मारपीट 
पीड़िता ने बताया कि वह रोजाना क्लिनिक से इसी समय घर जाती हैं। 9 मार्च को भी वह रोज की तरह घर जाने के लिए ऑटो में बैठी थीं। राहुल गार्डन से जैसे ही ऑटो गलत साइड में मुड़ा तो उन्होंने विरोध किया। करीब 15 मिनट तक वह ऑटो से निकलने की जद्दोजहद करती रहीं। इस दौरान बदमाशों ने उनके साथ मारपीट की। विरोध करने पर एक बदमाश ने उनका गला भी दबाया। एक बार तो लगा कि वह उन्हें मारना चाहते हैं, यह सोचकर वह बहुत डर गईं। उन्हें समझ में आ गया था कि अगर वह बदमाशों से लड़ीं तो बच नहीं पाएंगी। ऐसे में उन्होंने विरोध करना बंद कर दिया। इसके बाद बदमाशों ने उनके हाथ बांधकर आंखो पर पट्टी बांध दी। इसके बाद बदमाशों ने उनका एटीएम निकाल लिया और उन्हें चाकू की नोक पर लेकर उसका पिन पूछा, जो उन्होंने बता दिया। 

गर्भवती होने की बात कही 
इसके बाद बदमाशों ने उनके खाते से 20 हजार रुपये निकाल लिए। उन्होंने बताया कि बदमाशों के इरादे उनके साथ गलत काम करने के भी थे। यह देख उन्होंने गर्भवती होने की बात कही। यह झूठ काम कर गया। जिसके बाद बदमाशों ने उनके साथ मारपीट बंद कर दी और सुनसान रास्मे पर उन्हें काफी देर घूमाते रहे। 

धर्म पूछने के बाद ऑटो से उतारा 
गर्भवती होने की बात बताने के बाद जब बदमाशों ने उन्हें उतारा तो पहले उनसे धर्म पूछा, इसके बाद जब उन्होंने धर्म बताया तो एक बदमाश ने कहा कि तुम हमारे धर्म की हो इसलिए तुम्हें छोड़ रहे हैं। उतरते वक्त बदमाशों ने उनका मोबाइल, एटीएम और कुछ रुपये भी दे दिए। इसके बाद जब उन्होंने आंखों से पट्टी हटाई तो वह ताज हाईवे के पास थीं। 

दूसरे ऑटो में बैठने में लग रहा था डर 
पीड़िता ने बताया कि बदमाशों के चंगुल से छूटने के बाद भी वह काफी डरी हुई थीं। उनकी दूसरे ऑटो में बैठने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मोबाइल काम नहीं कर रहा था इसलिए कैब भी बुक नहीं कर पाई। इसके बाद उन्होंने किसी तरह हिम्मत जुटाकर एक ऑटो बुक किया और 11 बजे घर पहुंचीं। इस बीच हर वक्त यही डर लगता रहा कि कहीं फिर से किसी मुसीबत में न फंस जाऊं। 

सिर्फ नाम के लिए शुरू हुए पिंक ऑटो 
गाजियाबाद में जून 2016 में पिंक ऑटो सर्विस की शुरुआत की गई थी। उस दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने दावा किया था कि पिंक ऑटो में सफर करने से महिलाएं सुरक्षित महसूस करेंगे। पिंक ऑटो का रंग उड़ने मे ज्यादा वक्त नहीं लगा। पहले इन ऑटो में पुरुष यात्री दिखे, इसके कुछ दिन बाद ये ऑटो ही गायब हो गए। पीड़िता ने बताया कि पिंक ऑटो की सर्विस मिले तो रात में घर पहुंचना ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। 

श्लोक कुमार, एसपी सिटी ने कहा, घटना गंभीर है, बदमाशों को पकड़ने के लिए क्राइम ब्रांच की टीम को लगाया गया है। साथ ही इस तरह के ऑटो के खिलाफ एक बार फिर से बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। आपराधिक प्रवृत्ति वाले ऑटो चालकों को चिह्नित कर उन्हें बैन किया जाएगा। 
 

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