गणेश मूर्ति का विसर्जन और शास्त्र संकेत ?
गणेश मूर्ति का विसर्जन और शास्त्र संकेत ?
गणेश विसर्जन के संबंध में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मिट्टी की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा द्वारा उत्पन्न देवत्व एक दिन से अधिक रह सकता है। इसका मतलब यह है कि घर में गणेश मूर्ति कितने ही दिन रखें, फिर भी उसमें स्थित देवत्व उसी दिन खत्म हो जाता है जिस दिन उसकी आरती उतारी जाती है। इसलिए किसी भी देवता का पार्थिव पूजन होने के बाद उसी दिन या दूसरे दिन उस मूर्ति का विसर्जन होना पूरी तरह से वांछनीय होता है। परंतु गणेश चतुर्थी के कारण मंत्रपुष्पांजलि, सत्यनारायण पूजा तथा भजन आदि अनेक धार्मिक एवं मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके द्वारा मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम आगे बढ़ाया जाता है। कुछ लोग दूसरे, तीसरे या छठे दिन विसर्जन करते हैं। कुछ स्थानों पर अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है। यह विसर्जन परंपरागत होता है, इसलिए भय के कारण लोग उससे पहले विसर्जन नहीं करते। यदि सूतक या अशौच हो तो पुरोहित द्वारा गणेश व्रत का आचरण करना इष्ट है। उसी तरह यदि घर में कोई प्रसूति होने वाली हो तो उसकी प्रतीक्षा किए बिना निश्चित समय पर विसर्जन करना शास्त्र सम्मत है। -शास्त्र अनुसार