कोरोना के चलते बिगड़ा उच्च शिक्षा विभाग का कैलेंडर, नहीं होंगे इस साल भी छात्र संघ चुनाव
इंदौर
कोरोना वायरस संकट ने उच्च शिक्षा विभाग का कैलेंडर गड़बड़ा दिया है. साथ ही नया शिक्षण सत्र भी आगे बढ़ गया है. ऐसे में अब राज्य उच्च शिक्षा विभाग ने सभी निजी और सरकारी कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव और युवा उत्सव नहीं कराने का निर्णय लिया है. उच्च शिक्षा विभाग के कैलेंडर के मुताबिक सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में हर साल अगस्त-सितंबर में युवा उत्सव का आयोजन किया जाता है. इस बार भी यह आयोजन होने थे लेकिन अब इसे कैंसिल कर दिए गया है. वहीं अक्टूबर-नवंबर में प्रस्तावित छात्र संघ चुनाव भी नहीं कराए जाएंगे. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते अब तक प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों में एडमिशन नहीं हो पाए हैं लिहाजा अब विभाग की प्राथमिकता कॉलेजों में एडमिशन कराने की रहेगी.
यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक एक सितंबर से कॉलेजों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत की जाएगी. लिहाजा इस बार प्रदेश के 49 विश्वविद्यालयों और 1,405 कॉलेजों में एडमिशन प्राथमिकता मे है क्योंकि अभी तक परीक्षाएं ही नहीं हो पाई हैं. ऐसे में शिक्षण सत्र पिछड़ गया है जिससे राज्य के 11 लाख 78 हजार छात्र-छात्राएं प्रभावित हुए हैं. वहीं उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश भर के 516 सरकारी कॉलेजों और आठ विश्वविद्यालयों में अगस्त-सितंबर में युवा उत्सव का आयोजन कराता है. जिसमें छात्रों को करीब डेढ़ दर्जन विधाओं में अपना हुनर दिखाने का मौका मिलता है लेकिन इस साल छात्र इन सभी गतिविधियों में शामिल होने से वंचित रह जाएंगे.
कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में वादा किया था कि सरकार बनने पर छात्र संघ चुनाव फिर से शुरू कराए जाएंगे, लेकिन दिसंबर 2018 में राज्य में कमलनाथ की सरकार बनने के बाद वो पहले साल छात्र संघ चुनाव नहीं करा सकी. जबकि दूसरा सत्र शुरू होने के पहले कांग्रेस सरकार गिर गई. अब शिवराज सरकार की प्राथमिकता में छात्र संघ चुनाव कराना नहीं है. बता दें कि मध्य प्रदेश में छात्र संघ चुनाव लंबे समय से टल रहे हैं. पांच साल पहले आखिरी बार कॉलेजों में अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए थे इसके बाद से चुनाव बंद हैं.
छात्र संघ चुनाव न कराने के शिवराज सिंह सरकार के फैसले पर कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार मनमाने फैसले ले रही है. कॉलेजों में तो ऑनलाइन वोटिंग कराई जा सकती है लेकिन सरकार की मंशा ही इसे कराने की नहीं है. एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा कि सरकार को यदि कोरोना के संक्रमण की वाकई चिंता है तो वो उपचुनाव भी न कराए क्योंकि उसमें संक्रमण का ज्यादा खतरा है. वहीं बीजेपी से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी ने भी छात्र संघ चुनाव कराने की वकालत की है. एबीवीपी के संगठन मंत्री उपेंद्र तोमर का कहना है कि जब दूसरे चुनाव हो सकते हैं तो छात्र संघ चुनाव क्यों नहीं हो सकते, एबीवीपी छात्र संघ चुनाव की मांग करेगी.