गणपति या अनंत का डोरा (डोरी ) न मिले तो …?
गणपति या अनंत का डोरा (डोरी ) न मिले तो …?
चतुर्थी के दिन गणेश व्रत और अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत व्रत किया जाता है। परंतु लोगों में यह भ्रांति है कि यदि यह दोनों व्रत पहली बार करने हों और कोई व्यक्ति गणपति न दे या अनंत का डोरा न मिले तो ये व्रत नहीं रखे जा सकते-ऐसी बातें अज्ञानमूलक हैं। जिस घर में गणेश व्रत नहीं रखा जाता, उस घर के सामने अन्य लोग गणेश चतुर्थी के दिन बहुत सवेरे गणपति की मूर्ति, पूजा साहित्य एवं मोदक आदि ले जाकर रख देते हैं। ऐसे समय इच्छा के विरुद्ध गणेश व्रत शुरू करना पड़ता है। परंतु जिन्हें गणेश व्रत रखने के स्थायी लाभ प्राप्त करने हों, वे कम से कम एक दिन गणेश व्रत अवश्य करें। जिन्हें लाभ की आकांक्षा न हो, वे अवश्य अपने मन के विरुद्ध अपने घर के सामने रखे गणपति को घर में न लाकर सभी साहित्य के साथ बहते पानी में प्रवाहित कर दें। मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा न होने के कारण उसका विसर्जन करने में किसी तरह का एतराज या दोष नहीं है। अनंत चतुर्दशी सरीखे काम्य व्रत वैयक्तिक होते हैं। फिर भी यदि इच्छा हो।तो सामूहिक रूप में भी इसका अनुष्ठान किया जा सकता है। परंतु गणेश व्रत स्वतंत्र रूप से ही करें। अनंत व्रत के बारे में भी यही बात है। जिसे अनंत व्रत करना हो, वह दूसरे से डोरा की अपेक्षा किए बिना स्वयं डोरा लाकर अनंत व्रत आरंभ करे। अनंत व्रत 14 वर्षों के लिए होता है, इसलिए चौदहवें वर्ष उसका उद्यापन करके उसे समाप्त किया जा सकता है।