खून का थक्का बनने की बीमारी, कैंसर और HIV से ज्यादा खतरनाक है

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस या डीवीटी एक खून का थक्का बनने की बीमारी है जिसमें शरीर के अंदर किसी नस में थक्का बन जाता है। ब्लड क्लॉट तब बनता है जब ब्लड फ्लो में कोई रुकावट आ जाती है। ब्लड गाढ़ा हो जाता है या जमने लगता है। ज्यादातर डीप वेन ब्लड क्लॉट्स पैर के निचले हिस्से या जांघ में बनते हैं, हालांकि ये शरीर के दूसरे हिस्सों जैसे पेट और जांग के बीच या हाथ पर भी बन सकता है।

Ipsos की तरफ से वर्ल्ड थ्रॉम्बोसिस डे सर्वे किया गया जिसके जरिए दुनियाभर के देशों को इस बारे में जागरूक करने की कोशिश की गई। कम जानकारी के अलावा डीवीटी से जुड़े कई मिथ्स थे जो टूटे। वर्ल्ड थ्रॉम्बोसिस डे (13 अक्टूबर) से पहले अपोलो हॉस्पिटल वस्कुलर सर्जन डॉ पिंजला रामकृष्णन ने कुछ मिथ्स से पर्दा हटाया।

मिथ: ब्लड क्लॉट रेयर होते हैं, हमें इनके बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए।
हकीकत: पूरी दुनिया में 4 में से 1 इंसान की मौत ब्लड क्लॉट की वजह से पैदा हुई किसी कंडिशन से होती है। डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) का एक फॉर्म काफी सीरियस होता है और यह डायग्नोस भी नहीं हो पाता। यह वेन में बने खून के थक्के की वजह से होता है। DVT की वजह से हुए कॉम्पलिकेशंस से हर साल इतने लोग मरते हैं जितने ब्रेस्ट कैंसर, ऐक्सिडेंट्स और एचआईवी को मिलाकर।

डीवीटी किसी को भी हो सकता है जिससे गंभीर बीमार और कुछ केसेज में मौत तक हो सकती है।अगर आपकी कोई सर्जरी, कैंसर, हार्ट या लंग की प्रॉब्लम हुई है तो आपको डीवीटी होने के ज्यादा चांसेज रहते हैं।

मिथ: हेल्दी और ऐक्टिव लोगों को डीवीटी का खतरा नहीं होता।
हकीकत: लगभग सभी को डीवीटी हो सकता है, चाहे आप यंग हों, बुजुर्ग हों, बिल्कुल ऐक्टिव न हों या ऐथलीट हों। सच तो यह है कि ऐथलीट्स को कोई फिजिकल इंजरी हुई हो, डिहाइड्रेशन हो या ज्यादा ट्रैवल करें तो उनमें ज्यादा खतरा होता है।

मिथ: बुजुर्ग और बीमार लोगों में डीवीटी का खतरा ज्यादा होता है।
हकीकत: यह सच है कि इस ग्रुप के लोगों में खतरा ज्यादा होता है लेकिन सच्चाई यह भी है कि डीवीटी यंग और फिट लोगों के लिए ज्यादा जानलेवा हो सकता है।

मिथ: महिलाओं को डीवीटी का ज्यादा खतरा।
हकीकत: कॉन्ट्रासेप्टिव लेने वाली या प्रेग्नेंट महिलाओं को ब्लड क्लॉट का ज्यादा खतरा रहता है लेकिन पुरुषों में भी डीवीटी काफी कॉमन है।

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