खूनी होती जा रही है सियासत…हर साल बढ़ रही हैं हत्याएं

 
नई दिल्ली     

लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा होती रही. हत्याएं होती रहीं. भाजपा कह रही है कि पश्चिम बंगाल की हिंसा में उनके 54 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के भी कार्यकर्ता मारे गए. सभी दल एक दूसरे को हत्याओं के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं. लेकिन इन हत्याओं को राजनीतिक हत्याएं कहेंगे या नहीं, इस पर दुविधा है.

भारतीय संविधान के अनुसार लॉ एंड ऑर्डर को बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. लेकिन चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हिंसा रुकी ही नहीं. भाजपा चुनाव के दरम्यान मारे गए अपने 54 कार्यकर्ताओं के लिए तृणमूल कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही है. जबकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि ये हत्याएं आपसी रंजिश का नतीजा है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) हर साल देश में हुए अपराधों की रिपोर्ट तैयार करता है. अगर पश्चिम बंगाल में चुनाव में हुई हिंसा और हत्याओं को मद्देनजर रखते हुए एनसीआरबी की 2016 की रिपोर्ट देखें तो उसमें हत्याओं के कारणों की श्रेणी में एक श्रेणी है – पॉलिटिकल रीजन यानी राजनीतिक कारण. एनसीआरबी ने 2016 के बाद से रिपोर्ट जारी नहीं की है.

मोदी सरकार से 95 हत्याएं ज्यादा हुईं मनमोहन सरकार में  

अगर हम एनसीआरबी की रिपोर्ट के इसी राजनीतिक कारण की श्रेणी को राजनीतिक हत्या मानें तो… आइए जानते हैं कि 2011 से 2016 के बीच किस साल कितनी हत्याएं राजनीतिक कारणों से की गईं. इन छह सालों में तीन साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं और उसके पहले के तीन साल पूर्व मनमोहन सिंह के कार्यकाल के हैं. एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2014 से 2016 तक मोदी सरकार के कार्यकाल में 273 हत्याएं राजनीतिक कारणों से हुईं. जबकि, 2011 से 2013 तक मनमोहन सरकार के कार्यकाल में 368 हत्याएं राजनीतिक कारणों से हुईं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यकाल (2014 से 2016) – राजनीतिक कारणों से 273 हत्याएं

2016 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 113 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – यूपी-29, बिहार-26, केरल-15, कर्नाटक-10, मध्यप्रदेश-8, महाराष्ट्र-06, तमिलनाडु-03, गुजरात-03, झारखंड-02 और पश्चिम बंगाल-01.

2015 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 96 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – यूपी-28, झारखंड-15, केरल-12, मध्यप्रदेश-10, कर्नाटक-08, गुजरात-05, आंध्र प्रदेश-04, तमिलनाडु-03, ओडिशा-03, नगालैंड-02, अंडमान-निकोबार-01 और पश्चिम बंगाल-01.

2014 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 64 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – आंध्र प्रदेश-11, पश्चिम बंगाल-10, तेलंगाना-06, केरल-06, छत्तीसगढ़-04, तमिलनाडु-04, ओडिशा-03, महाराष्ट्र-03, गुजरात-03, बिहार-03, यूपी-02, कर्नाटक-02, अरुणाचल प्रदेश-01, सिक्किम-01, असम-01, एमपी-01 और जम्मू-कश्मीर-01.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कार्यकाल (2013 से 2011) – राजनीतिक कारणों से 368 हत्याएं

2013 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 101 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – पश्चिम बंगाल-26, एमपी-22, आंध्र प्रदेश-12, बिहार-12, केरल-07, तमिलनाडु-07, कर्नाटक-05, महाराष्ट्र-03, मेघालय-02, यूपी-02, पंजाब-01, ओडिशा-01 और नगालैंड-01.

2012 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 120 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – बिहार-32, एमपी-28, पश्चिम बंगाल-22, एमपी-22, ओडिशा-06, तमिलनाडु-05, केरल-05,  कर्नाटक-04, झारखंड-04, हरियाणा-03, यूपी-02, आंध्र प्रदेश-02, गुजरात-01, जम्मू-कश्मीर-01 और दिल्ली-01.

2011 – राजनीतिक कारणों की श्रेणी में कुल 147 हत्याएं दर्ज. सबसे ज्यादा हत्याओं वाले राज्य – पश्चिम बंगाल-38, आंध्र प्रदेश-33, बिहार-32, एमपी-13, झारखंड-08, कर्नाटक-05, तमिलनाडु-04, महाराष्ट्र-04, केरल-04, ओडिशा-02, नगालैंड-01 और गुजरात-01.

2016 में हुई राजनीतिक संघर्ष की घटनाएं

केरल- 1361
जम्मू-कश्मीर- 300
पश्चिम बंगाल- 205
कर्नाटक- 164
बिहार- 91
2014 से पहले की एनसीआरबी की रिपोर्ट में राजनीतिक संघर्ष की श्रेणी ही नहीं

राजनीतिक संघर्ष की श्रेणी का कॉलम एनसीआरबी की रिपोर्ट में 2014 से शुरू हुई है. उसके पहले की रिपोर्ट में इस श्रेणी का जिक्र तक नहीं है. जबकि, राजनीतिक कारणों से हुई हत्याओं की श्रेणी का कॉलम शामिल है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *