क्वारंटाइन सेंटरों में फ्रंट पर तैनात आयुष डॉक्टरों को मिल रहा है आधा-अधूरा वेतन

 पटना 
बिहार में कोरोना के खिलाफ संघर्ष में जुटे आयुष डॉक्टरों को आधे-अधूरे वेतन का भुगतान हो रहा है। कहीं उन्हें राज्य सरकार के निर्देशानुसार 44 हजार रुपए मानदेय का प्रतिमाह का भुगतान किया जा रहा है तो कहीं 32 हजार। इससे डॉक्टरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। ये आयुष डॉक्टर क्वारंटाइन सेंटरों में फ्रंट पर तैनात किए गए हैं, जबकि उन्हें विभाग के स्तर से कम मानदेय का भुगतान कर हतोत्साहित किया जा रहा है। बिहार के सभी 38 जिलों में कमोबेश यही हाल है। एक ही जिले के अलग-अलग प्रखण्ड में अलग-अलग भुगतान हो रहा है। 

बिहार में आयुष डॉक्टरों का ये हाल राज्य कैबिनेट के निर्णय के तहत 44 हजार रुपये मानदेय का भुगतान किए जाने और इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के बाद है। 2018 में ही विभाग ने 44 हजार रुपये प्रतिमाह आयुष डॉक्टरों को भुगतान किए जाने का निर्देश जारी किया था। हद तो, यह है कि 44 हजार प्रतिमाह के अनुसार एरियर राशि का भुगतान स्वास्थ्य विभाग द्वारा मार्च 2020 तक कर दिया गया है, लेकिन वेतन संकट बना है। 

स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नये वित्तीय वर्ष में एनएचएम (नेशनल हेल्थ मिशन)  के तहत 32 हजार प्रतिमाह मानदेय और उसका 5 फीसदी इंक्रीमेंट की राशि के बाद 44 हजार में शेष अंतर राशि का भुगतान राज्य सरकार को करना है। 

जिलों में भुगतान की स्थिति
आयुष डॉक्टर एसोसिएशन के अनुसार अरवल के कुर्था, अरवल और व करपी प्रखंड पीएचसी में पुरानी दर से 32, 290 रुपये, जबकि कलेर में 44 हजार रुपए भुगतान किया जा रहा। वहीं, भागलपुर के खरीक पीएचसी में 44 हजार तो शेष अन्य में 32,290 भुगतान हो रहा है। भोजपुर के उदवंतनगर में 44 हजार अप्रैल में देकर मई में कटौती कर ली गयी। बांका के एक पीएचसी में मात्र पुराने दर से भुगतान हो रहा है। 

सरकार से पैसा मिलते ही शेष राशि का भुगतान होगा 
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सह स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव मनोज कुमार ने कहा कि नए वित्तीय वर्ष की राशि मिलते ही शेष अंतर राशि का भुगतान सभी आयुष डॉक्टरों को कर दिया जाएगा। 

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