कौन है रामा सिंह, जिनकी एंट्री की आहट से आरजेडी में मच गई खलबली

पटना
बिहार विधान परिषद चुनाव से ठीक पहले पटना की राजनीति में गरमी आ गई है। खासकर मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में तोड़फोड़ का सिलसिला शुरू हो चुका है। आरजेडी के पांच विधान परिषद के विधायक जेडीयू में चले गए। इससे भी बड़ा झटका आरजेडी को तब लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही ये भी अटकलें हैं कि रघुवंश प्रसाद आरजेडी से अलग भी हो सकते हैं। डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी वरिष्ठ रघुवंश प्रसाद को न्योता भी दे चुके हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर आरजेडी में ऐसा क्या हुआ कि जिसकी वजह से रघुवंश प्रसाद जैसे समाजवादी नेता के सामने पार्टी छोड़ने की नौबत आ गई है। बिहार की राजनीति में थोड़ा इंट्रस्टे लेने पर पता चलता है कि रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह वह नेता हैं जिनकी वजह से आरजेडी में अफरातफरी मच गई है। आइए जानते हैं कि आखिर रामा सिंह कौन हैं जिसके नाम से ही चिढ़ते हैं रघुवंश प्रसाद।

रामा सिंह कौन हैं
रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह बिहार के बाहुबली नेता हैं। अपहरण, धमकी, रंगदारी, मर्डर जैसे संगीन अपराध में आरोपी हैं। 90 के दशक में एक नाम तेजी से ऊभरा था, रामा किशोर सिंह। ये दौर था बाहुबल का, उसी समय हाजीपुर से सटे वैशाली के महनार इलाके में एक और दबंग उभर रहा था- राम किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह।

रामा सिंह ने रघुवंश को हराया
रामा सिंह पांच बार विधायक रहे हैं और 2014 के मोदी लहर में राम विलास पासवान की लोजपा (LJP) से वैशाली से सांसद चुने गए। उन्होंने आरजेडी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह को हराया। इसी हार के बाद रघुवंश प्रसाद रामा सिंह का नाम तक नहीं सुनना चाहते हैं। इलाके के लोग बताते हैं कि रामा सिंह छवि बाहुबली की है तो रघुवंश प्रसाद बिल्कुल समाजवादी और मिलनसार नेता हैं। यूं कहें कि दोनों की राजनीति की तुलना करें तो नदी के दो किनारों के समान है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद रघुवंश प्रसाद सिंह ने जयचंद वैद अपहरण कांड को ही आधार बना कर पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का आरोप था कि चुनाव आयोग को दिये गये शपथ पत्र में रामा किशोर सिंह ने वैद अपहरण कांड से संबंधित जानकारी नहीं दी है, इसलिये लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए। रामा सिंह की दोस्ती अपने समय के डॉन अशोक सम्राट से हुआ करती थी। रामा सिंह वैशाली ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बिहार में बादशाहत का सपना देख रहे थे। इसी दौरान अशोक सम्राट हाजीपुर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया। उस वक्त ये चर्चा आम हो गई थी कि अशोक सम्राट के लिए पुलिस का जाल रामा सिंह ने ही बिछाया था।

रामा सिंह ने छत्तीसगढ़ से कराया अपहरण
रामा सिंह तो वैसे कई बार चर्चा में रहे, लेकिन उनका पुलिस फाइल में बड़ा नाम तब आया जब वो विधायक बन गए। केस साल 2001 का है, छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुम्हारी इलाके में 29 मार्च 2001 को पेट्रोल पंप व्यवसायी जयचंद वैद्य का अपहरण हुआ था। अपहरणकर्ता जयचंद को उनकी कार के साथ ले गए थे। डेढ़ महीने बाद बड़ी मुश्किल से जयचंद वैद की रिहाई संभव हो पाई थी। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी कि जयचंद वैद अपहरण में जिस कार का इस्तेमाल किया गया था, वह कार रामा किशोर सिंह के घर से ही बरामद हुई थी। इस केस में रामा सिंह को छत्तीसगढ़ की अदालत में सरेंडर कर जेल भी जाना पड़ा था।

लालू के मुलाकात के बाद रामा को ग्रीन सिग्नल
सूत्रों का कहना है कि रामा सिंह ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की है। लालू ने ही रामा सिंह को आरजेडी में आने की अनुमति दी है। सूत्रों का कहना है कि 29 जून को रामा सिंह आरजेडी ज्वाइन कर सकते हैं। वैशाली जिले में रामा सिंह की गिनती एलजेपी के बड़े नेताओं में की जाती रही है और सवर्णों के बीच उनका बड़ा वोट बैंक है। 2014 में सांसद बनने के बाद 2019 में एलजेपी ने रामा सिंह को टिकट नहीं दिया था। यहां से बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को प्रत्याशी बनाया गया था। तभी से यह कयास लगाए जा रहे थे कि आने वाले दिनों में रामा सिंह एलजेपी को अलविदा कहने के बाद कोई बड़ी पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं।

रघुवंश की नाराजगी आरजेडी पर क्यों पड़ेगी भारी
रघुवंश प्रसाद समाजवादी नेता हैं। गणित के नामी प्रोफेसर रहे रघुवंश प्रसाद आरजेडी के उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं जिनपर कभी भी भ्रष्टाचार या गुंडागर्दी के आरोप नहीं लगे। रघुवंश प्रसाद सरीखे नेताओं का सम्मान हमेशा से लालू प्रसाद यादव भी करते रहे हैं। रघुवंश ज्यादातर मौकों पर दिल्ली की राजनीति में आरजेडी का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। रघुवंश प्रसाद जब यूपीए की सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री बने तब उन्होंने ही महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की शुरुआत की। यह एक ऐसी योजना है जिसकी तारीफ आज तक होती है। लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कमी हो गई है। रघुवंश प्रसाद ही वह चेहरा माने जाते हैं जो पार्टी के उम्रदराज कार्यकर्ताओं को पार्टी के साथ जोड़े रखने में सहायक हो सकते हैं। इसी साल फरवरी में लालू यादव ने नाराज रघुवंश से जेल में ही मुलाकात की थी और समझाया था कि आप पार्टी के वरिष्ठ हैं आप ही नाराज हो जाएंगे तो कैसे काम चलेगा।

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