कोरोना: 30 लाख डेली पैसेंजर्स, 1150 ट्रेनें…. यूपी पर होगा बड़ा असर

लखनऊ 
भारतीय रेलवे के इतिहास में बड़ा फैसला लेते हुए रेलवे बोर्ड ने 31 मार्च तक सभी यात्री ट्रेनों को बंद करने का फैसला किया है। कोरोना वायरस को लेकर देश के ऊपर मंडरा रहा खतरा कितना गंभीर है, इसकी अंदाजा आप इसी बात से लगा लीजिए कि पहली बार देश में सभी ट्रेनों को कैंसल कर दिया गया है। हालांकि ट्रेन बंदी से रेल यात्रा करने वाले लोगों को कोई विशेष फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है क्योंकि लॉकडाउन और कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोग खुद ही घरों में रहने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना वायरस के खतरे के बीच एक बात तो तय है कि इस बंदी से रेलवे और सरकार के रेवेन्यू में बड़ा फर्क पड़ने वाला है, क्योंकि रेलवे भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है। दूसरी ओर सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 31 मार्च तक के लिए की गई यात्री ट्रेनों की बंदी से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सरकार पूरी तरह से तैयार है। पीएम मोदी ने हाल ही में अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में इस बात की ओर संकेत दिया था कि कोरोना वायरस से लड़ाई के दौरान अर्थ व्यवस्था पर फर्क पड़ सकता है। 

उत्तर प्रदेश से गुजरती थीं हर रोज करीब 1150 ट्रेनें 
रेलवे से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के विभिन्न डिविजनों से हर रोज करीब 1200 ट्रेनें गुजरती थीं। इनमें से उत्तर मध्य रेलवे के रूट से होकर हर रोज करीब 600 ट्रेनें चलती हैं। उत्तर मध्य रेलवे के तहत 690 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा 250 पैसेंजर ट्रेनें गुजरती थीं। आपको बता दें कि इस रूट से सप्ताह में 3 दर्जन राजधानी, 6 शताब्दी, दो दर्जन गरीब रथ, 3 दर्जन संपर्क क्रांति ट्रेनों का संचालन होता है। इसके अलावा 2 गतिमान एक्सप्रेस पर इसी रूट से गुजरती हैं। 

30 लाख यात्री हर रोज करते हैं यात्रा 
एनसीआर रेलवे से जुड़े एक अधिकारी ने एनबीटी ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि सरकार ने नागरिकों से बाहर न आने को कहा है, कई जिलों में धारा 144 लगाई गई है, खतरा बड़ा है, इसलिए फैसला भी बड़ा लिया गया है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश से गुजरने वाली ट्रेनों से हर रोज औसतन करीब 30 लाख यात्री यात्रा करते हैं। अधिकारी ने कहा कि अगर ट्रेनें बंद न होतीं तो भी लोग बाहर न निकलते, फिर भी ऐहतियातन सरकार ने यह फैसला लिया है ताकि भीड़ से बचा जा सके। रेलवे बोर्ड से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि इस फैसले से रेवेन्यू का बड़ा नुकसान होगा लेकिन फिर भी माहौल को देखते हुए यह फैसला लेना जरूरी था। उन्होंने कहा कि लोगों को इससे बहुत खास फर्क नहीं पड़ने वाला है क्योंकि वे पहले ही इस खतरे को लेकर सजग हैं। 

मुरादाबाद डिविजन में 200 ट्रेनें होंगी प्रभावित 
उत्तर रेलवे के सिर्फ मुरादाबाद डिविजन में ही करीब 200 ट्रेनों का संचालन होता है और इस रूट पर करीब 207 रेलवे स्टेशन शामिल हैं। रेलवे के इस फैसले के बाद छेटे लेवल पर काम करने वाले श्रमिकों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। 

लखनऊ से होकर गुजरती हैं करीब 400 ट्रेनें 
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से हर रोज करीब 400 एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनें गुजरती हैं। इन ट्रेनों में कई लोकल ट्रेनें ऐसी हैं जिनसे दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिक भी यात्रा करते हैं। ट्रेनों का संचालन रुकने से इन मजदूरों पर भी फर्क पड़ना तय है। 

लखनऊ-सीतापुर रूट पर भी पड़ेगा फर्क 
लखनऊ का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जहां दूध और अखबार जैसी चीजें बांटने वाले लोग ट्रेन या बस से सामान लेकर सीतापुर जिले से आते हैं। दूध के व्यापार के जुड़े अंकित का कहना है, 'मैं रोज सीतापुर के अटरिया से सुबह ट्रेन से दूध लेकर आता हूं और दोपहर बाद ट्रेन से ही केन लेकर वापस चला जाता हूं। अब ट्रेनें बंद होने की जानकारी मिलने के बाद कुछ दिनों तक काम बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा।' अंकित ने के मुताबिक, प्राइवेट गाड़ियों से दूध लेकर आने में वे बचत से ज्यादा तो किराया ही मांगने लगते हैं। 

रेलवे बे-फिक्र, कहा- बस सरकार के आदेश का पालन 
एनबीटी ऑनलाइन ने जब रेलवे के आला अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की तो वे सवालों से कन्नी काटते नजर आए। उत्तर रेलवे के पीआरओ विक्रम सिंह ने कहा कि पीआईपी की ओर से विज्ञप्ति जारी करके इस बारे में जानकारी दे दी गई है कि सभी ट्रेनें बंद रहेंगी, अब इसकी विस्तृत जानकारी देने का कोई मतलब ही नहीं बचता है। वहीं लखनऊ मंडल के डीआरएम संजय त्रिपाठी का कहना था कि लखनऊ मंडल से कुल कितनी ट्रेनें गुजरती हैं या कितने यात्री यात्रा करते हैं, यह बेहद गुप्त जानकारी है, इसे हम फोन पर नहीं बता सकते। 

रात 12 बजे तक जारी रहेंगी न्यूनतम सेवाएं 
आपको बता दें कि रेलवे ने कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए सभी ट्रेनों को रद्द करने का फैसला किया है। हालांकि, सब अर्बन ट्रेनों और कोलकाता मेट्रो रेल की न्यूनतम सेवाएं जो बहुत जरूरी हैं, वह 22 मार्च रात 12 बजे तक जारी रहेंगी। रेलवे के मुताबिक, जिन ट्रेनों ने आज यानी 22 मार्च को 4 बजे तक अपनी यात्रा शुरू कर दी है वह अपने गंतव्य तक पहुंचने तक चलेंगी। यानी ये उनका आखिरी फेरा होगा और इसके बाद वह 31 मार्च रात 12 बजे बाद ही चलेंगी। 

मिलेगा रिफंड 
रेलवे ने कहा है कि मालगाड़ियां चलती रहेंगी, ताकि देश के तमाम हिस्सों में जरूरी चीजों की आपूर्ति होती रहे और लोगों की किसी चीज की कमी ना हो। रद्द की गई ट्रेनों में जिन यात्रियों ने बुकिंग की थी वह 21 जून 2020 तक अपने पैसे रिफंड ले सकते हैं। यात्रियों को उनके टिकट के पैसे देने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं, ताकि यात्रियों को कोई तकलीफ ना उठानी पड़े। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *