कोरोना संकट से किस्त में देरी पर कंपनी को एनपीए घोषित नहीं किया जा सकता: दिल्ली हाई कोर्ट

 नई दिल्ली 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि पहली नजर में यस बैंक कोरोना वायरस महामारी के चलते कर्ज की किस्त नहीं चुका पाने पर निजी कंपनी के खाते को फंसा कर्ज (एनपीए) घोषित नहीं कर सकता है। न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने बैंक से 1,570 करोड़ रुपये का कर्ज लेने वाली अनंत राज लिमिटेड कंपनी के वकील की तरफ से दिए गए वक्तव्य को भी रिकार्ड पर लिया। वकील ने कहा कि कंपनी 25 अप्रैल को अथवा उससे पहले कर्ज किस्त का भुगतान कर देगी। यह किस्त एक जनवरी 2020 को दी जानी थी। इसका भुगतान के दिन तक इस पर लगने वाले ब्याज की साथ कर दिया जायेगा। इसमें लॉकडाउन की स्थिति आड़े नहीं आएगी। 
 
न्यायाधीश ने कहा, ''पहली नजर में मेरा मानना है कि याचिकाकर्ता (कंपनी) के कर्ज खातों को प्रतिवादी (बैंक) द्वारा 31 मार्च 2020 को एनपीए खाते में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। इस लिये खाते की एक मार्च 2020 की स्थिति को बहाल किया जाता है।
 

उच्च न्यायालय एक रीयल एस्टेट कंपनी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें कंपनी ने बैंकों को उसके खिलाफ कोई भी प्रतिकूल कदम उठाने से रोकने का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया है। कंपनी ने इस साल जनवरी से बैंक के कर्ज की किस्त नहीं चुकाई है। अदालत ने इससे पहले 3 अप्रैल को बैंक को निर्देश दिया था कि वह कंपनी के खिलाफ कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा। कंपनी के खाते को कर्ज की किस्त नहीं लौटाए जाने की वजह से कंप्यूटर नेटवर्क ने एनपीए घोषित कर दिया था। 

1,570 करोड़ रुपये का कर्ज

कंपनी के मुताबिक उसने बैंक से 1,570 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इसमें से 1,056 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। यह भुगतान करोड़ों रुपये के ब्याज के साथ किया गया। कंपनी का दावा है कि दिसंबर 2019 में दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलने के साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *