कोरोना वायरस से लड़ने को रेलवे ने कसी कमर, इस तरह निभाएगा अहम भूमिका
नई दिल्ली
कोरोना वायरस को लेकर देश में पैदा हो रहे हालात से निपटने के लिए रेलवे मंत्रालय ने कमर कस ली है। देशभर में फैले भारतीय रेल अस्पतालों व पॉली क्लीनिक का नेटवर्क कोरोना वायरस संक्रमितों की जांच व इलाज में अहम रोल निभा सकेंगे। इसके अलावा रेलवे में 25 हजार से अधिक रेल कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने पर विचार किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने रेल की फैक्टरियों व वर्कशॉप में अस्पताल के बेड व चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन करने का फैसला किया है। रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि देशभर में रेलवे के अस्पलालों-पॉली क्लीनिक का जाल बिछा हुआ है। इसमें 167 अस्पताल व बड़ी संख्या में पॉली क्लीनिक हैं। रेलवे के पास 12,719 से अधिक बेड हैं, जबकि मेडिकल ऑफिसर्स (इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस) के 2506 डॉक्टर हैं। विजिटर स्पेशलिस्ट की संख्या 575 है। वहीं, 1000 से अधिक जूनियर-सीनियर रेजिटेंड हैं। सी श्रेणी के 54,337 अस्पतालों व पॉली क्लीनिक में स्टाफ तैनात हैं। इसमें पैरामेडिकल स्टाफ, नर्स, तकनीशियन शामिल हैं। कुल 167 अस्पतालों में से 10 रेलवे के बड़े अस्पताल हैं।
इसमें दिल्ली, लखनऊ, नागपुर, भूसावल, आसनसोल, झांसी, वाराणसी, अजमेर, विजयवाड़ा, त्रिचूपल्ली, खडगपुर अस्पतालों में 1000 से 1200 बेड सहित अत्याधुनिक मशीनें हैं। वायरस का फैलाव होने पर देश के विभिन्न कोने में स्थित अस्पतालों में संक्रमितों की जांच व इलाज किया जा सकेगा।
रेलवे के तीन ट्रैकमैन होम क्वारंटाइन भेजे गए पश्चिम रेलवे के तीन ट्रैकमैन के कोराना वायरस से संक्रमित होने की सूचना मिली है। हालांकि, रेलवे बोर्ड के अधिकारी इस बात की पु़ष्टि नहीं कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि पश्चिम रेलवे के ट्रैकमैन गोपाल मीणा, राजेश सिंह व मंटु कुमार को कोरोना वायरस के शुरुआती लक्षण पाने जाने के बाद होम क्वारंटाइन का ठप्पा लगाकर डॉक्टरों ने उन्हें आइसोलेशन में रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि काम के दौरान एक निश्चित दूरी बनाए रखना काफी मुश्किल हो रहा है।