कोरोना वायरस: जब एक लक्षण पाया गया पॉजिटिव, सकते में आ गए थे क्रिकेटर केन रिचर्ड्सन
मेलबर्न
कोविड-19 की संभावना के कारण कुछ समय के लिए अलग रहे ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज केन रिचर्ड्सन ने कहा कि एकबारगी उन्हें लगा कि उनके साथ मजाक किया जा रहा है। ऐसा न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज के दौरान हुआ। टेस्ट से हालांकि पता चला कि रिचर्ड्सन कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हैं। वह टीम से नहीं जुड़ पाए क्योंकि कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए यह सीरीज बीच में ही रद्द कर दी गई।
इस 29 वर्षीय गेंदबाज ने अनुभव साझा करते हुए कहा, ‘मैं इसलिए जोखिम में था क्योंकि पिछले सप्ताह के दौरान मैंने विदेश दौरा किया था और मुझे चार में से एक लक्षण पाया गया था। यही वजह थी कि मेरा परीक्षण किया गया।'
एक विडियो में दिख रहा है कि धोनी रांची में एक इंडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में बैडमिंटन खेल रहे हैं। इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक विडियो में धोनी रांची की सड़कों पर मोटरसाइकिल पर हेलमेट लगाकर बैठे हुए दिखे हैं। एक राहगीर ने इस पूर्व कप्तान से सेल्फी की भी गुजारिश की जिसके लिए वह खुशी खुशी तैयार भी हो गए।
उन्होंने कहा, 'एक समय मुझे लगा कि मेरे साथ मजाक किया जा रहा है, लेकिन तब चिकित्सकों ने समझाया कि ऐसा नहीं है। मुझे उम्मीद थी कि मेरा टेस्ट पॉजिटिव नहीं आएगा और ईश्वर की कृपा से ऐसा ही हुआ। मैं अच्छा था और मैं बाहर जाकर फिर से ताजा हवा ले सकता था।’
दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी ने 2004 में जब इंटरनैशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था, तब उनके बाल काफी लंबे थे। वह काफी साल तक इसी हेयरस्टाइल के साथ नजर आए।
2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद हुए गंजे
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारत ने 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता। इसके बाद वह गंजे हो गए थे। तब उनकी काफी तस्वीरें वायरल हुई थीं।
फिल्म आई तो बदल लिया लुक
धोनी की जिंदगी पर आधारित फिल्म 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' आई तो वह इसका प्रमोशन भी करते दिखे। फिल्म की प्रमोशन टीम ने भी उन्हें इसमें बिजी रखा। तब उनका हेयरस्टाइल भी बदला नजर आया।
CSK कैप्टन ने बदला स्टाइल
आईपीएल की सबसे सफल टीमों में शुमार चेन्नै सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी एक बार मो-हॉक हेयरस्टाइल में भी नजर आए जिसमें साइड से पूरी तरह बाल काटे जाते हैं और बीच में पीछे तक लंबे छोड़े जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट ने कोरोना वायरस की वजह से अपने सभी इंटरनैशनल और डोमेस्टिक टूर्नमेंट्स के आयोजन पर रोक लगा दी थी। इसकी वजह से शेफील्ड शिल्ड का फाइनल भी नहीं खेला जा सका और न्यू साउथ वेल्स को चैंपियन घोषित किया गया था।