कोरोना लॉकडाउन पलायन: पैदल चलते-चलते पत्नी थक गई तो गोद में उठा लिया, पढें- घर जा रहे लोगों की मार्मिक कहानी

 नोएडा 
कोरोना वायरल के चलते हुए लॉकडाउन से लाखों लोग परेशान है। दिल्ली-मुेबई से यूपी बिहार मेंकाम करने वालो लोग अपने घर वापस जाने को निकल पड़े हैं। बस ट्रेन नहीं मिलने की स्थिति में ये लोग पैदल ही निकल पड़े हैं। जिसे जो मिल रहा है उसी पर बैठ जा रहा है। हालत यह है कि कोई रिक्शा ले लिया है ताे कोई ठेला।शनिवार को एक ही परिवार के 15 सदस्य फेज टू के रास्ते उन्नाव के लिए चल दिए। इनमें 11 सदस्य ठेली पर और बाकी चार लोग पैदल चल रहे थे। इनमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे।

ठेली पर बच्चे सवार थे जबकि एक युवक उसे चला रहा था। ठेली पर सामान भी रखा था। ठेली में हैंडल पकड़े एक किशोर भी बैठा हुआ था। परिवार के सदस्य सुरेश ने बताया कि वे और उनके एक रिश्तेदार का परिवार यहां किराए के मकान में रहता है। कोरोना वायरस की वजह से फैक्ट्री बंद हो गई है और मालिक ने सभी कर्मचारियों को निकाल दिया है। पास में जो पैसे थे वे खर्च हो चुके हैं। परिवार का पालन पोषण नोएडा में रहते हुए नहीं कर सकते हैं। घर जाने के लिए बस का किराया नहीं दे सकते हैं। ऐसे में परिवार के साथ ठेली पर ही निकल पड़े हैं। एक-एक करके सभी बड़े लोग ठेली चलाएंगे। रविवार रात तक या सोमवार घर पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि सुबह से पूरे परिवार ने कुछ नहीं खाया है। रास्ते में कहीं कोई खाना बांट रहा होगा तो सभी खा लेंगे और जैसे तैसे घर पहुंच जाएंगे। शहर में इस परिवार जैसे हजारों ऐसे लोग हैं, जो कि पैदल, ठेली और साइकिल से अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। कई लोगों का यह भी कहना है कि वे अब गांव में खेती करेंगे। छोटी सी परचून की दुकान खोल लेंगे लेकिन नोएडा वापस नहीं आएंगे।

पत्नी थक गई तो गोद में उठा लिया
बलिया के रहने वाले कपिल नोएडा के सिटी सेंटर के पास रहते है। बस के चलने की जानकारी मिली तो वो सुबह ही नोएडा से कौशांबी तक पैदल निकल पड़े। इनके साथ इनकी पत्नी और बच्चा था। पैदल चलने के कारण इनकी पत्नी चल नही पा रही थी तो उन्होने अपनी पत्नी को गोद में उठाकर कौशांबी बस डिपो तक ले कर आए। कपिल को जल्दी घर पहुंचने की उम्मीद है।

किसी का राशन समाप्त हुआ तो किसी की गई नौकरी
आनंद गुप्ता।कौशांबी बस अड्डे पर घर जाने के लिए बस पकड़ने पहुंचे कई मजदूर ऐसे हैं जिनमें किसी का राशन समाप्त हो गया तो किसी की नौकरी ही चली गई। दिल्ली में या नोएडा में रहने की गुंजाइश ना दिखने पर इन मजदूरों ने सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने घर जाना ही मुनासिब समझा। शनिवार को कौशांबी बस अड्डे पर पहुंचे कुछ परिवारों से हिन्दुस्तान ने उनका हाल जाना।

काम बंद हुआ तो सीलमपुर से पैदल ही निकले
कन्नौज के रहने वाले रामसेन दस साल से अपने परिवार के साथ दिल्ली के सीलमपुर में सिलाई का काम करते हैं। इनके परिवार में पत्नी समेत चार बच्चे हैं। लॉक डाउन होने के कारण इनका रोजगार बंद हो गया। वह अपने परिवार के साथ शुक्रवार रात से सीलमपुर में बस नहीं मिलने के  कारण पैदल ही कौशांबी बस डिपो की ओर निकल पड़े। कौशांबी बस डिपो पर भी कन्नौज जाने के लिए बस नही मिलने पर पैदल ही घर की ओर जाने के लिए आगे बढ़ने लगे। उन्होने बताया कि रास्ते में अगर बस मिल जाएगी तो ठीक नही तो पैदल ही घर जाऊगा।

नौकरी चली गई अब दिल्ली रहकर क्या करें
अलीगढ के रहने वाले नीरज टिकरी बार्डर पर इलेक्ट्रानिक शोरुम में काम करते हैं। इनको कंपनी ने 19 मार्च को निकाल दिया था। परिवार के साथ नीरज टिकरी बॉर्डर के पास रहते है। लॉक डाउन और नौकरी से निकल जाने के कारण उन्होने घर का रूख किया। उन्होंने बताया कि जैसे ही पता चला की कौशांबी बस डिपो से अलीगढ़ जाने के लिए बस मिल रही है तो शुक्रवार रात में ही परिवार के साथ बस पकड़ने पैदल ही निकल पड़ा। कौशांबी बस डिपो पर बस का इंतजार कर रहा हू। मगर अभी तक नही बस नही मिला।
 

घर लौट रहे लोगों के लिए जुटा रहे भोजन
पूरे देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए लॉक डाउन किया गया है। ऐसे में जो रोजमर्रा की कमाई कर के खाने वाले लोग पैदल ही अपने घर की ओर चलने लगे। ऐसे में यूपी बार्डर, कौशांबी बस डिपों के बाहर और लिंक रोड पर आसपास के लोगों ने खाने की सामाग्री बाटी। यूपी गेट पर वैशाली के रहने वाले नमित वाष्र्णेय ने अपने दोस्त के साथ लोगों को खाने की सामाग्री दी। वही लिंक रोड पर साहिबााबाद मंडी के सचिव विश्वेंद्र कुमार ने लोगों को फल बाँटे। ऐसे ही टीएचए में कई संस्थाएं लोगों को भोजन बाट रही है।  

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