कोरोना का सबसे ज्यादा कहर एयरलाइंस पर, बर्बाद हो सकती हैं कई कंपनियां

 
नई दिल्ली  

कोरोना के प्रकोप से वैसे तो पूरी अर्थव्यवस्था को भारी झटका लगा है, लेकिन यह एयरलाइंस के लिए बिल्कुल कहर बनकर सामने आया है. पहले से ही खस्ताहाल चल रहे एविएशन इंडस्ट्री में इससे कई और एयरलाइंस के बर्बाद होने का खतरा सामने है और इससे बड़े पैमाने पर नौकरियां भी जा सकती हैं.

कोरोना वायरस के प्रकोप से सबसे बुरी तरह से एविएशन सेक्टर ही प्रभावित हुआ है. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के अनुसार, इस संकट की वजह से दुनियाभर में एयरलाइंस को करीब 113 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. इसकी वजह से एयरलाइंस की बुकिंग में 30 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है और किराए में भी 20 से 30 फीसदी की कटौती करनी पड़ रही है.

सेंटर फॉर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारों ने समन्वित प्रयास नहीं किया तो मई के बाद कई एयरलाइंस दिवालिया हो सकती हैं. कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार ने देश में घरेलू उड़ानों को भी मंगलवार मध्यरात्रि से निलंबित कर दिया है. यह निलंबन देश में लॉकडाउन की अवधि यानी 14 अप्रैल तक जारी रह सकता है.
 
हर दिन होता था इतनी उड़ानों का संचालन

भारत से हर दिन करीब 4500 डोमेस्टिक और इंटरनेशनल फ्लाइट्स का संचालन किया जाता है, इनमें से करीब 600 इंटरनेशनल फ्लाइट होते हैं. अकेले दिल्ली से ही ह​र दिन करीब 900 उड़ानों का संचालन होता है. इस लॉकडाउन से पहले ही डोमेस्टिक एयरलाइंस की सेवाओं में 30 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी.

​हर दिन हो रहा इतने करोड़ का नुकसान

सीएपीए ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में ही यानी जून, 2020 तक भारतीय एविएशन इंडस्ट्री को करीब 3.3 से 3.6 अरब डॉलर 27 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो सकता है. कोरोना वायरस की वजह से भारतीय एविएशन सेक्टर को हर दिन करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है.
 
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री यानी फिक्की के मुताबिक फ्लाइट्स के कैंसिल होने से मार्च में ही भारत के एविएशन इंडस्ट्री को करीब 8,400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है और उनके कुल रेवेन्यू में करीब 40 फीसदी की गिरावट आ चुकी थी. स्पाइसजेट, विस्तारा, गोयर जैसी कई एयरलाइंस को पहले ही अपनी कई उड़ानों को कैंसिल करना पड़ा था.

सामान्य दिनों में भारतीय एयरलाइंस को हर दिन करीब 400 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल होता था, यानी एक महीने के लॉकडाउन से उनको करीब 12 हजार करोड़ रुपये का नुकसान और हो सकता है.

भारत में जेट, किंगफिशर, एयरइंडिया जैसे एयरलाइंस तो पहले दिवालिया हो चुके हैं, अब यही हालत रही तो कई और एयरलाइंस दिवालिया हो सकते हैं. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार,इंडिगो और स्पाइस जेट को अगले वित्त वर्ष में क्रमश: 230 करोड़ रुपये और स्पाइसजेट को 525 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है.

दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बाजार

भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा एविएशन बाजार है और इसे अगले चार पांच साल में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनाने का लक्ष्य था, लेकिन कोरोना की वजह अब तो इस यह लक्ष्य कई साल पीछे चला गया है.

लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी कम नहीं मुश्किल

एयरलाइंस का कहना है कि 15 अप्रैल से यदि एयर ट्रांसपोर्ट फिर शुरू हुआ तो भी हालत सुधरने वाला नहीं है, क्योंकि लोग यात्रा बहुत कम करेंगे. इसके बाद भी अगले दो महीने तक इंडियन एयरलाइंस जैसे कई एयरलाइंस अपने बेड़े का महज 30 फीसदी का ही इस्तेमाल कर पाएंगे.

एविएशन इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि एयरलाइंस का कहना है कि यह प्रतिबंध हटने के बाद भी ग्राहकों का भरोसा जमने में कम से कम छह महीने लग जाएंगे.
 
लगातार हो रहा खर्च

असल में एयरलाइंस के पास कैश एक रुपये का नहीं आ रहा है और सैलरी, रेंटल और अन्य फिक्स्ड कास्ट पहले जैसी ही बनी हुई है. ज्यादातर एयरलाइंस काफी महंगे किराए पर विमान लेते हैं और उड़ान हो या नहीं उनका किराया तो देना ही होता है.

इंडिगो के अलावा और किसी एयरलाइंस के पास कैश बैलेंस नहीं है. इंडिगो ने अपने कर्मचारियों को घरेलू उड़ानों के निलंबित रहने की अवधि में वेतन और छुट्टी नहीं कटने का भरोसा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कर्मचारियों का वेतन नहीं काटने का परामर्श जारी करने के अगले दिन कंपनी की ओर से यह घोषणा की गई है.

जा सकती है बड़े पैमाने पर नौकरी

एयरलाइंस में एक बड़ा हिस्सा सिक्योरिटी एजेंट, ड्राइवर, ग्राउंड हैंडलर्स, लोडर्स का होता है, जो कान्ट्रैक्ट पर काम करते हैं और पीएम के आश्वासन के बावजूद इन लोगों की नौकरी खतरे में है. गोएयर ने पहले से ही विदेशी पायलटों को नोटिस देना शुरू कर दिया है.

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