कोरबा पावर प्लांट से वायु प्रदूषण, चीफ इंजीनियर पर केस दर्ज करने के आदेश
कोरबा
छत्तीसगढ़ के कोरबा थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख का उपयोग करने में नाकाम प्रबंधन के खिलाफ एडीजे कोर्ट ने वायु प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण संरक्षण के नियमों के उल्लंघन का मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. आदेश के अनुसार कोरबा थर्मल पॉवर प्लांट के भारसाधक अधिकारी और प्लांट के मुख्य अभियंता को नामजद आरोपी बनाने के लिए कहा गया है. बनाया गया है. आगामी 4 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगी.
पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिवक्ता लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने बताया कि कोरबा थर्मल पॉवर प्लांट में प्रतिदिन 3 हजार 500 टन कोयले की खपत है. कुल कोयला खपत का 42 फीसदी यानी करीब एक हजार 470 टन राख निकलती है. प्लांट राख की उपयोगिता में फेल हुआ है और लगातार वायु प्रदूषण फैला रहा है. राख के उपयोग को लेकर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने प्लांट को समय-समय पर केंद्र सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन को बताया था. इसके बावजूद प्रबंधन ने राख की उपयोगिता सुनिश्चित करने में गंभीरता नहीं दिखाई.
इस पर पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोरबा थर्मल पॉवर प्लांट के खिलाफ कोरबा के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में परिवाद दायर किया था. प्रबंधन के भार साधक अधिकारी और मुख्य अभियंता एनएस रावत को आरोपी बनाने की मांग की थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने परिवाद को निरस्त कर दिया था.
इसके खिलाफ संरक्षण मंडल के अधिवक्ता ने अपर सत्र न्यायाधीश विशेष कोर्ट योगेश पारिक की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर की थी. कोर्ट ने सुनवाई के बाद सीजेएम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए थर्मल पॉवर प्लांट के भारसाधक अधिकारी और मुख्य अभियंता एनएस रावत के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.