कॉलेजों में नियुक्त होने दर दर भटक रहीं एमपीपीएससी की 91 टॉपर महिलाएं

भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग के कॉलेजों के लिए मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) द्वारा आयोजित किए गए असिस्टेंट प्रोफेसर एग्जाम टॉप करने के बाद भी 91 मैरिट में चयनित महिलाएं दर-दर भटकने को मजबूर हैं। इन महिलाओं को हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी नियुक्ति नहीं मिल पाई है। यह महिलाएं उच्च शिक्षा विभाग और मप्र लोकसेवा आयोग के बीच आदेशों-निर्देशों के बीच लटक रही हैं। अब अपने हक के लिए वह सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आॅनलाइन गुहार लगा रही हैं।

एमपीपीएससी द्वारा वर्ष 2017 में विज्ञापन निकालकर जून 2018 में असिस्टिेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें शामिल होकर अच्छे अंक लाने के बाद इन 91 महिला टापर्स का चयन मेरिट लिस्ट में किया गया था। परंतु शेष सभी अभ्यर्थियों के नियुक्ति के 6 महीने बीत जाने के बाद इनकी नियुक्ति आज तक नहीं हो पाई है। यह महिलाएं अपनी नियुक्ति को लेकर कभी उच्च शिक्षा विभाग तो कभी लोकसेवा आयोग को लगातार ज्ञापन सौंपती आ रही हैं। अब इन महिलाओं ने अपनी बात आमजन तक पहुंचाने के लिए वीडियो बनाकर वायरल किया है।

यह है इन चयनित महिलाओं का मामला
कॉलेजों टीचरों के रिक्त पदों के लिए परीक्षा 27 वर्षों के बाद हुई थी। इस परीक्षा में इन महिलाओं को अधिक अंक लाने पर अनारक्षित महिला सीट पर चयनित किया गया। इनमें से कई प्रथम से लेकर दसवें स्थान तक पर चुनी गईं हैं। 18 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग तथा एमपीपीएससी को लिबर्टी देते हुए इन महिलाओं को तत्काल प्रभाव से नियुक्ति के आदेश दिए गए। इस उच्चशिक्षा विभाग ने सभी अभ्यर्थियों को च्वाइस फिलिंग कराई। उसके बाद इन टॉपर्स महिलाओं को यह कहकर रोक दिया गया कि उन पर स्पेशिफिक स्टे है। इसे लेकर इन महिलाओं ने फिर हाईकोर्ट की शरण ली। तब हाईकोर्ट ने 18 अक्टूबर 2019 को अंतरिम राहत देते हुए निर्देश दिए कि ये मेरिटॉरियस फीमेल केंडिडेट हैं, इनकी नियुक्ति के मुद्दे को विभाग द्वारा प्रोसेस में लिया जाए तब विभाग द्वारा दोबारा इनकी च्वाइस फिलिंग करवाई गई। विभाग ने दिसंबर 2019 में मेरिटॉरियस फीमेल केंडिडेट को छोड़कर सभी चयनितों को नियुक्ति दे दी गई है। हाईकोर्ट का अंतिम फैसला भी आ गया है जिसमें चयन सूची रिवाइज्ड कर इन्हें नियुक्ति देने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन विभाग ध्यान नहीं दे रहा है।

क्या कहती हैं टापर महिलाएं
मैंने अंग्रेजी विषय में 94 प्रतिशत अंक हासिल कर मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। परन्तु हम शासन, प्रशासन एवं विभाग की त्रुटि का खामियाजा भुगत रहे हैं। कोर्ट के आदेश के बाद भी हमें नियुक्ति नहीं दी जा रही है।
डॉ. रंजीता पाटीदार, रेंक-1 अंग्रेजी, खरगोन

असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए मैंने जॉब भी छोड़ दी थी। मैंने घर में कई विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए परीक्षा देकर अच्छी रैंक से मेरिट में आई। दो वर्ष हो गये हैं, जॉइनिंग नहीं मिलने से हम मानसिक आर्थिक और सामाजिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
सबीहा मंसूरी, रैंक 82, रसायन शास्त्र, विदिशा

मेरिट में स्थान बनने के बाद जहां एक तरफ पुरस्कार दिए जाते हैं। वहीं हम महिलाओं से नियुक्ति का मूल अधिकार भी छीन लिया गया है। पिछले पांच महीने से हम न सिर्फ न्याय के लिए दर दर भटक रहे हैं बल्कि आर्थिक तथा मानसिक प्रताड़ना भी झेल रहे हैं।
अंकिता पटेल ,रैंक 81, कॉमर्स,भोपाल

इनका कहना है
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद इन महिलाओं के नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। लॉकडाउन के कारण कुछ देरी जरूर हुई है, शीघ्र ही हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार महिलाओं को नियुक्तियां दी जाएंगी।
-मुकेश कुमार शुक्ला, कमिश्नर, उच्च शिक्षा विभाग

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