कैसी होगी कैबिनेट की शक्ल-सूरत, जानने में सभी की दिलचस्पी?

 
नई दिल्ली 

नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों और मीडिया को ज्यादा संशय और उत्साह दिखाने से बचने को कहा है, लेकिन सत्ता के गलियारों में सबकी नजरें इसी बात पर टिकी हैं कि अगली कैबिनेट की शक्ल व सूरत कैसी होगी.      

कैबिनेट को लेकर हर किसी की दिलचस्पी और संशय बढ़ने के पीछे कुछ वजहें काम कर रही हैं. मसलन,

अमित शाह संगठन में या सरकार में?

सबसे पहले तो सबको ये जानने की उत्सुकता है कि अमित शाह संगठन में ही रहेंगे या सरकार से जुड़ेंगे.

कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी

दूसरा दिलचस्पी का विषय है कि मंत्रिमंडल में कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी (सीसीएस) का स्वरूप कैसा रहेगा?

जेडीयू सरकार में शामिल होगा या नहीं?

तीसरी बात ये कि पिछली बार जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) सरकार को बाहर से समर्थन कर रहा था, तो क्या इस बार उसकी सरकार में शिरकत होगी या नहीं?

बंगाल, ओडिसा और बिहार की कैबिनेट में हिस्सेदारी

लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार से अप्रत्याशित सफलता मिली है. सबको ये जानने में दिलचस्पी है कि इन राज्यों को केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल में कैसा प्रतिनिधित्व मिलेगा?

दरअसल, पहले सवाल के जबाव में ही, दूसरे सवाल का जवाब भी छिपा हुआ है. सीसीएस के स्वरूप की बात करें तो यह पूरी तरह से अमित शाह की भावी भूमिका पर निर्भर करता है. अगर अमित शाह को सरकार में लाने का फैसला लिया जाता है, तो स्वरूप निश्चित तौर पर बदलेगा. इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है. स्वास्थ कारणों से जेटली की गैर मौजूदगी के दौरान वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी पीयूष गोयल ने संभाला था. इस बार जेटली अगर स्वास्थ्य कारणों से सरकार से बाहर रहने का फैसला लेते हैं, तो सीसीएस में पीयूष गोयल या निर्मला सीतारमण में से कोई एक ही रह पाएगा.

पार्टी की एक और वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. स्वास्थ्य संबंधी हिदायतों के बावजूद सुषमा विदेश मंत्रालय में सक्रिय रही हैं, पर यह सक्रियता आगे कायम रहती है या नहीं, इसे देखना होगा. बता दें कि सुषमा स्वराज ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने से कई महीने पहले ही मना कर दिया था.

पश्चिम बंगाल में बीजेपी को मिली बड़ी सफलता के बाद उम्मीद है केंद्र सरकार में राज्य का प्रतिनिधित्व भी बढ़ेगा. पिछली बार पश्चिम बंगाल से बाबुल सुप्रियो और एसएस अहलूवालिया 2 सांसद थे और दोनों मंत्री बने थे. अब राज्य से पार्टी 18 सांसद लोकसभा में चुनकर आए हैं. सूत्रों के मुताबिक, इस बार मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल से मंत्रियों की संख्या 3-4 तक जा सकती है.

 ओडिशा से पिछली बार जुएल उरांव और धर्मेंद्र प्रधान को मंत्री बनाया गया था, जबकि तब राज्य से पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. इस बार जिस तरह से बीजेपी ने तेलंगाना में केसीआर के गढ़ में सेंध लगा 4 सीटों पर जीत दर्ज की हैं, उसके बाद इस दक्षिणी राज्य को भी मंत्रिमंडल में स्थान मिलना निश्चित है.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नार्थ-ईस्ट से भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना है. मौजूदा मंत्रिमंडल में किरण रिरिजू और राजन गोहिन के रूप में सिर्फ दो लोगों को मंत्री बनाया गया था.

झारखंड, हरियाणा और दिल्ली में साल के अंत तक और अगले साल के प्रारंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा इन राज्यों से प्रतिनिधित्व बढ़ने की संभावना है. इन सभी राज्यों में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार रहा है.

सूत्रों के मुताबिक जेडी-यू इस बार सरकार में शामिल होगी और बहुत संभव है कि पार्टी को मंत्रिमंडल में तीन स्थान मिलें. सहयोगियों में, प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जेडी-यू संभवत: इस बार में सरकार में शामिल होगी और पार्टी को तीन सीटें मिलने की संभावना है. पार्टी की ओर से आरसीपी सिंह और ललन सिंह के नामों की चर्चा चल रही है.

लोकजनशक्ति पार्टी से चिराग पासवान के सरकार में शामिल होने की संभावना बढ़ी है. लेकिन उनका मंत्रिमंडल में कद क्या होगा, सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि स्वयं रामविलास पासवान अपने लिए क्या भूमिका तय करते हैं. रामविलास पासवान इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़े और चुनाव में पार्टी के प्रचार की कमान चिराग पासवान के हाथों में ही थी.

उत्तर प्रदेश से अपना दल के प्रतिनिधि के तौर पर अनुप्रिया पटेल को फिर मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है. शिरोमणि अकाली दल से इस बार सुखबीर सिंह बादल के मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात मानी जा रही है.  तमिलनाडु से एआईएडीएमके को भी मंत्रिमंडल में एक जगह मिलने की संभावना है. केरल से बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी या के जे अल्फोंस में किसी एक को प्रतिनिधित्व मिलने की संभावना है.

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