कैसी है 124 साल पुरानी प्राइवेट कंपनी, जो भारत में करेगी कोरोना टेस्ट

 
नई दिल्ली 

भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय व नियामक इकाईयों ने कड़े कदम उठाए हैं. देश भर में कोरोना टेस्ट की जांच के लिए 72 सेंटर बनाए गए हैं. इसी क्रम में FDA ने एक निजी कंपनी Roche Diagnostics को भारत में इमरजेंसी लाइसेंस दिया है. अब ये कंपनी देश भर में कोविड 19 के मामलों की जांच कर सकेगी. आइए जानें- इस कंपनी से जुड़ी कुछ बातें और कैसे आपके लिए ये होगी भरोसेमंद. ये 124 साल पुरानी स्विस बहुराष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा कंपनी है. कंपनी की स्थापना 1896 में बेसल, स्विट्जरलैंड में हुई थी. आज दुनिया के 100 देशों में इस कंपनी ने अपना विस्तार कर लिया है. डायग्नोस्ट‍िक और नवीनतम दवाओं के जरिये आज ये विश्व स्तर पर लाखों रोगियों की मदद कर रही है.

कंपनी के बड़े शहरों में कलेक्शन सेंटर
इस कंपनी के देश के ज्यादातर बड़े शहरों में कलेक्शन सेंटर हैं. इस कंपनी को लाइसेंस मिलने के बाद अब ये देश के विभ‍िन्न हिस्सों से कलेक्शन लेकर कोराेना का परीक्षण कर सकती है. फिलहाल आईसीएमआर ने कंपनी से अपील की है कि वे भारत में कम से कम या बिल्कुल मुफ्त कोरोना का टेस्ट करें. ये दुनिया भर में दो डिवीजनों के तहत काम करती है: एक फार्मास्यूटिकल्स और दूसरा डायग्नोस्टिक्स. कंपनी का मुख्यालय बासेल में स्थित है.

ये भी एक सच्चाई

बता दें कि ये दुनिया की सबसे बड़ी बायोटेक कंपनी है. कंपनी बायोटेक में दुनिया के नंबर 1 के साथ बाजार में इसके 17 बायोफार्मास्युटिकल हैं. कंपनी के उत्पाद पाइपलाइन में आधे से अधिक यौगिक बायोफर्मासिटिकल हैं, जो बेहतर लक्षित उपचार देने में सक्षम हैं.
 
कैंसर के इलाज में ग्लोबल लीडर

कंपनी की आध‍िकारिक वेबसाइट के अनुसार ये कंपनी कैंसर के उपचार में ग्लोबल लीडर बनकर उभरी है. कंपनी ब्रेस्ट, स्क‍िन, कोलोन, फेफड़े और कई अन्य कैंसर की दवाओं के साथ 50 वर्षों से कैंसर अनुसंधान और उपचार में सबसे आगे हैं.

90 हजार एम्पलाई

कंपनी के 100 से अधिक देशों में एक साथ काम करने वाले 90,000 से अधिक लोग जुड़े हैं. रोश को एक बेहतरीन वर्कप्लेस के तौर पर जाना जाता है.

इस सोच के साथ रखी गई थी नींव

रोश के संस्थापक, फ्रिट्ज़ हॉफमैन-ला रोश एक जाने माने एंटरप्रेन्योर थे, जिन्हें आभास था कि आने वाला भविष्य ब्रांडेड दवा उत्पादों से जुड़ा है. कंपनी की स्थापना ऐसे समय में हुई थी जब औद्योगिक क्रांति यूरोप का चेहरा बदल रही थी. ऐसे में 1 अक्टूबर, 1896 को, 28 साल की उम्र में, फ्रिट्ज़ हॉफमैन-ला रोश ने स्विट्जरलैंड के बासेल में हॉफमैन, ट्रब एंड कंपनी के उत्तराधिकारी कंपनी के रूप में अपनी कंपनी शुरू की.

वो इस बात को पहचानने वाले पहले लोगों में थे कि बीमारी के खिलाफ लड़ाई में दवाओं का औद्योगिक निर्माण एक प्रमुख प्रगति होगी. हालांकि भारत में रोश कंपनी ने 1988 में कदम रखा. और इन्हीं 32 सालों में आज इसके देश भर में केंद्र हैं.

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