कैलाश ने सरकार के फैसले को बताया प्रजातंत्र की हत्या

भोपाल
मध्य प्रदेश में अब महापौर का चुनाव नहीं होगा। नगर निगम के महापौर समेत नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों के जरिये ही होगा। अभी जनता इनको चुनती है। मंत्रायल में हुई कैबिनेट की अहम बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगादी है। सरकार के इस कदम से विपक्ष खफा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कमलनाथ सरकार के इस फैसले को अलोकतांत्रिक और प्रजातंत्र की हत्या करार दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर सिलसिलेवार ट्विट कर सरकार को आड़े हाथ लिया।

उन्होंने लिखा है कि, 'मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को शायद अपने नेता के प्रति भी श्रद्धा नहीं है, अप्रत्यक्ष प्रणाली से नगरीय निकाय का चुनाव कराना मध्यप्रदेश सरकार का अलोकतांत्रिक कदम है यह प्रजातंत्र की हत्या करने वाला शरारत पूर्ण क़दम है। स्थानीय निकाय में जनता का प्रतिनिधि जनता के द्वारा चुना जाये, यह इनके ही नेता स्व. राजीव गाँधी की इच्छा थी जिसकी पूर्ति इनकी ही पार्टी की नरसिम्हा राव सरकार द्वारा संविधान के 73वें एवं 74वें संशोधन द्वारा की गई थी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को न तो प्रजातंत्र पर भरोसा है और न ही जनता पर! लगता है वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी से प्रेरणा लेकर चुनाव जीतना नहीं बल्कि  कब्ज़ा करना चाहते हैं।'

दरअसल, प्रदेश में करीब 20 साल बाद महापौर के चुनाव नहीं होंगे। अभी तक जनता ही अपना महापौर चुनती थी। लेकिन अब सरकार ने निमयों में बड़ा बदलाव किया है। जिसके बाद अब पार्षदों के जरिये महापौर और अध्यक्ष का चुनाव होगा। अब चुनाव से दो महीने पहले तक परिसीमन सहित अन्य निर्वाचन प्रक्रियाएं पूरी करनी होगी। वर्तमान में छह माह का प्रावधान है। इसके अलावा आपराधिक छवि वाले पार्षदों पर सख्ती रहेगी, दोषी पाए जाने पर 6 महीने की सजा के साथ ही 25 हजार के जुर्माने का प्रावधान को भी कैबिनेट ने मंजूर किया है। सरकार के इस फैसले से भाजपा कांग्रेस का घेराव कर रही है। और खुलकर इसका विरोध किया जा रहा है।

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