अब PGDM से काली कमाई कर रहे संस्थान, इंदौर में 27, ग्वालियर में 7 कॉलेज में डिप्लोमा

भोपाल
प्रदेश में सबसे ज्यादा फीस का पीजीडीएम (पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट) का सिर्टिफिकेट बना हुआ है। प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति ने उनकी फीस साल की न्यूनतम फीस सवा और अधिकतम फीस पौने लाख रुपए निर्धारित दी है। चौकाने वाली बात है कि पीजीडीएम का जबलपुर में कोई कालेज नहीं है। जबकि इंदौर में दो दर्जन से ज्यादा संस्थान संचालित हो रहे हैं।

पीजीडीएम की मान्यता एआईसीटीई देता है, जिसमें प्रवेश पांच राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं से होना अनिवार्य है। इसके बाद भी प्रदेश में बिना प्रवेश परीक्षा के एडमीशन हो रहे हैं। फीस कमेटी ने पीजीडीएम की तीन दर्जन कालेजों की फीस निर्धारित कर दी है। इसमें न्यूनतम फीस एक लाख बीस हजार और अधिकतम फीस एक लाख 62 हजार रुपए निर्धारित की गई है।

दो वर्षीय डिप्लोमा होने के कारण इसकी कुल फीस ढाई से साढ़े तीन लाख रुपए तक हो गई है। ज्यादा फीस वसूलने फेर में इंदौर में सबसे ज्यादा 27 कालेज पीजीडीएम करा रहे हैं। जबकि जबलपुर में एक भी कालेज पीजीडीएम में प्रवेश नहीं करा रहा है। ग्वालियर में सात और भोपाल में सबसे कम तीन कालेज में ये डिप्लोमा चल रहा है। डीटीई का प्रवेश पर नियंत्रण नहीं होने के कारण बिना फीस निर्धारित किए हुए ही प्रवेश कराकर मनमर्जी की फीस वसूल रहे हैं।

एआईसीटीई से अप्रूव कोर्स तकनीकी शिक्षा विभाग या विवि के नियंत्रण में रहते हैं। इससे उनके प्रवेश पर आसानी से निगरानी होती रहती है। पीजीडीएम के प्रवेश लेकर उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग का कोई नियंत्रण नहीं हैं। इससे कालेजों की निगरानी नहीं हो पा रही है। जबकि एआईसीटीई से अप्रुव होने के कारण डीटीई को पीजीडीएम के प्रवेश पर सख्ती करना अनिवार्य है। डीटीई छोटे-छोटे कोर्स तक पर नियंत्रण किए हुए है।

आईआईएम सहित देश के बड़े बड़े मैनेजमेंट संस्थान पीजीडीएम कोर्स कराते हैं। फीस लाखों में होने के कारण इंदौर में सबसे ज्यादा कालेजों में पीजीडीएम में प्रवेश करा रहे हैं। इसका क्रेज देखते हुए राज्य के चारों बड़ों शहर भी पीजीडीएम कोर्स प्रवेश कराने की रूपरेखा तैयार करने लगे हैं।

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